krishna Baghel

krishna Baghel Lives in Dehradun, Uttarakhand, India

https://www.instagram.com/_veerwrites/ बस इतनी महर कर मालिक मेरे ये आंखे फ़ख्र से चमकती रहे हया से झुके ना कभी

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ये मजबूरियां ये दुख ये फ़साद सब एक तरफ तू नही है तेरे जाने का गम एक तरफ आंख में तेजाब डाल कर सो भी जाउ तो निगाहों का रुख रहता है उस तरफ ये हसरत, ये शौक जो दिल ने पाले है उन्हें निकाले तो कैसे और रखे किस तरफ अधूरी मंजिल को सफर मिला ,मुद्दतो बाद हमसफर मिला गुफ़्तगू करनी है अब कैसे जाए उस तरफ लाख दफ़ा लानत हो उस शख्स पर जिसने बनाई ये रीतियाँ मर्दाना बैठेंगे इस तरफ ,जनाना बैठेंगे उस तरफ --वीर ©krishna Baghel

#InspireThroughWriting #शायरी  ये मजबूरियां ये दुख ये फ़साद सब एक तरफ 
तू नही है तेरे जाने का गम एक तरफ 

आंख में तेजाब डाल कर सो भी जाउ तो
निगाहों का रुख रहता है उस तरफ

ये हसरत, ये शौक जो दिल ने पाले है 
उन्हें निकाले तो कैसे और रखे किस तरफ 

अधूरी मंजिल को सफर मिला ,मुद्दतो बाद हमसफर मिला 
गुफ़्तगू करनी है अब कैसे जाए उस तरफ 

लाख दफ़ा लानत हो उस शख्स पर जिसने बनाई ये  रीतियाँ 
मर्दाना बैठेंगे इस तरफ ,जनाना बैठेंगे उस तरफ
                                               
                                                     --वीर

©krishna Baghel

# a Little change #InspireThroughWriting

10 Love

मैं अपना बहता लहू.... तेरी नब्ज़ के गुलाम करता हूँ रेत पर बैठ के समुन्द्र तेरे नाम करता हूँ..... मेरी जान मुझे इश्क़ है तुझसे ये इश्क़ ए एलान मैं सरेआम करता हूँ --वीर ©krishna Baghel

#InspireThroughWriting  मैं अपना बहता लहू....
तेरी नब्ज़ के गुलाम करता हूँ 
रेत पर बैठ के समुन्द्र 
तेरे नाम करता हूँ.....
मेरी जान मुझे इश्क़ है तुझसे 
ये इश्क़ ए एलान मैं सरेआम करता हूँ 
 
                    --वीर

©krishna Baghel

सोचा था उसके दुश्मन है बहुत आदमी अच्छा होगा अब मैं "अपना सोचा" ना सोचू तो अच्छा होगा हुकूमत ने सब ख़्वाब लोगो के बेच दिए फिर भी लोग सोचते है अब अच्छा होगा अब अच्छा होगा ..... --वीर

 सोचा था उसके दुश्मन है बहुत आदमी अच्छा होगा 
अब मैं "अपना सोचा" ना सोचू तो अच्छा होगा 
हुकूमत ने सब ख़्वाब लोगो के बेच दिए 
फिर भी लोग सोचते है अब अच्छा होगा अब अच्छा होगा .....
                                                       --वीर

सोचा था उसके दुश्मन है बहुत आदमी अच्छा होगा अब मैं "अपना सोचा" ना सोचू तो अच्छा होगा हुकूमत ने सब ख़्वाब लोगो के बेच दिए फिर भी लोग सोचते है अब अच्छा होगा अब अच्छा होगा ..... --वीर

8 Love

मैं ऐसे ख़्वाब बूनु जो उम्र भर साथ चले बेवज़ह क्यों दबा जाए तेरी यादों के बोझ तले मेरी ठोकरों से तो पत्थर भी लाल हो जाते है तो क्या बिसात रखते है तेरी यादों के ज़लज़ले तेरे सीने पर सर रख कर सोये रात दिन तूने ऐसे छले ऐसे तो कोई दुश्मन भी ना छले अगर चार पहर बाद भी भूला लौटे तो भूल कहता है ये जमाना तुम तो सदियों बाद आए अब मैं कैसे लगा लू गले हाँ कभी-कभी परेशां करता तेरे चेहरे का काला तिल खैर तुम जैसे हुस्न वालो से तो हम सांवले भले --वीर

 मैं ऐसे ख़्वाब बूनु जो उम्र भर साथ चले 
बेवज़ह क्यों दबा जाए तेरी यादों के बोझ तले 

मेरी ठोकरों से तो पत्थर भी लाल हो जाते है 
तो क्या बिसात रखते है तेरी यादों के ज़लज़ले 

तेरे सीने पर सर रख कर सोये रात दिन 
तूने ऐसे छले ऐसे तो कोई दुश्मन भी ना छले 

अगर चार पहर बाद भी भूला लौटे तो भूल कहता है ये जमाना 
तुम तो सदियों बाद आए अब मैं कैसे लगा लू  गले

हाँ कभी-कभी परेशां करता तेरे चेहरे का काला तिल 
खैर तुम जैसे हुस्न वालो से तो हम सांवले भले
                                         --वीर

मैं ऐसे ख़्वाब बूनु जो उम्र भर साथ चले बेवज़ह क्यों दबा जाए तेरी यादों के बोझ तले मेरी ठोकरों से तो पत्थर भी लाल हो जाते है तो क्या बिसात रखते है तेरी यादों के ज़लज़ले तेरे सीने पर सर रख कर सोये रात दिन तूने ऐसे छले ऐसे तो कोई दुश्मन भी ना छले अगर चार पहर बाद भी भूला लौटे तो भूल कहता है ये जमाना तुम तो सदियों बाद आए अब मैं कैसे लगा लू गले हाँ कभी-कभी परेशां करता तेरे चेहरे का काला तिल खैर तुम जैसे हुस्न वालो से तो हम सांवले भले --वीर

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अगर हिसाब हुआ.... तो तेरी नज़रो का भी लेंगे कब तक सब्र मेरा इंतिहां लेंगे शायद इतना छलकेगा दर्द मेरा मेरे आँशु तेरी पाज़ेब छू लेंगे --वीर

 अगर हिसाब हुआ....
तो तेरी नज़रो का भी लेंगे
कब तक सब्र मेरा इंतिहां लेंगे 
शायद इतना छलकेगा दर्द मेरा 
मेरे आँशु तेरी पाज़ेब छू लेंगे
                         --वीर

अगर हिसाब हुआ.... तो तेरी नज़रो का भी लेंगे कब तक सब्र मेरा इंतिहां लेंगे शायद इतना छलकेगा दर्द मेरा मेरे आँशु तेरी पाज़ेब छू लेंगे --वीर

10 Love

हर गहरे पानी मे मझधार नही होती हर म्यान में रखी तलवार में धार नही होती बेशक सब सरोकार हो जाएँ तेरे इश्क़ में पर तेरी नज़रे मेरे जहन के पार नही होती --वीर

 हर गहरे पानी मे मझधार नही होती 
हर म्यान में रखी तलवार में धार नही होती 
बेशक सब सरोकार हो जाएँ तेरे इश्क़ में 
पर तेरी नज़रे मेरे जहन के पार नही होती
                                  --वीर

हर गहरे पानी मे मझधार नही होती हर म्यान में रखी तलवार में धार नही होती बेशक सब सरोकार हो जाएँ तेरे इश्क़ में पर तेरी नज़रे मेरे जहन के पार नही होती --वीर

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