Anushaka Singh

Anushaka Singh

  • Latest
  • Popular
  • Video
#विचार #Sands  Red sands and spectacular sandstone rock formations उच्च विचार और सादगी से 
हर किसी का दिल जीता जा सकता है।

©Anushaka Singh

#Sands

162 View

#विचार  सहारे इंसान को खोखला कर देते है और उम्मीदें कमज़ोर कर देती है.... अपनी ताकत के बल पर जीना शुरू कीजिए....

आपका आपसे अच्छा साथी और हमदर्द कोई नही हो सकता

©Anushaka Singh

सहारे इंसान को खोखला कर देते है और उम्मीदें कमज़ोर कर देती है.... अपनी ताकत के बल पर जीना शुरू कीजिए.... आपका आपसे अच्छा साथी और हमदर्द कोई नही हो सकता ©Anushaka Singh

27 View

#विचार  ठीक हूं ये तो हम किसी से भी कह सकते है लेकिन परेशान हूं कहने के लिए  कोई बहुत ही खास होना चहिए

©Anushaka Singh

ठीक हूं ये तो हम किसी से भी कह सकते है लेकिन परेशान हूं कहने के लिए कोई बहुत ही खास होना चहिए ©Anushaka Singh

27 View

एक दिन शिकायत तुम्हें वक्त से नहीं खुद से होगी, कि जिंदगी सामने थी और तुम दुनिया में उलझे रहे ©Anushaka Singh

#शायरी  एक दिन शिकायत तुम्हें वक्त से नहीं 
खुद से होगी, कि 
जिंदगी सामने थी और तुम दुनिया में उलझे रहे

©Anushaka Singh

एक दिन शिकायत तुम्हें वक्त से नहीं खुद से होगी, कि जिंदगी सामने थी और तुम दुनिया में उलझे रहे ©Anushaka Singh

16 Love

#विचार #atthetop  अतीत से सीखा जाता है।
 वर्तमान को जिया जाता है। जिससे भविष्य बेहतर होता है।

©Anushaka Singh

#atthetop

27 View

#विचार  प्रशंसा सदा ही झूठ है। झूठ हो तभी तुम प्रसन्न होते हो प्रशंसा से। अगर सच हो तो प्रशंसा में प्रशंसा जैसा क्या रहा? अगर तुमने गुलाब के फूल को कहा, कोमल हो; तो कौन सी प्रशंसा हुई? हां, जब तुम कांटे को कहते हो, कोमल हो; तब कांटा प्रसन्न होता है। प्रशंसा से तुम तभी प्रसन्न होते हो, जब कुछ ऐसा कहा गया हो, जो तुम सदा से चाहते थे कि हो, लेकिन है नहीं। झूठ ही सुख देता है प्रशंसा में। और उस प्रशंसा से बढ़ता है तुम्हारे भीतर अहंकार, दर्प, अभिमान । अभिमान तुम्हारे जीवन की सारी झूठ का जोड़ है, निचोड़ है।

©Anushaka Singh

प्रशंसा सदा ही झूठ है। झूठ हो तभी तुम प्रसन्न होते हो प्रशंसा से। अगर सच हो तो प्रशंसा में प्रशंसा जैसा क्या रहा? अगर तुमने गुलाब के फूल को कहा, कोमल हो; तो कौन सी प्रशंसा हुई? हां, जब तुम कांटे को कहते हो, कोमल हो; तब कांटा प्रसन्न होता है। प्रशंसा से तुम तभी प्रसन्न होते हो, जब कुछ ऐसा कहा गया हो, जो तुम सदा से चाहते थे कि हो, लेकिन है नहीं। झूठ ही सुख देता है प्रशंसा में। और उस प्रशंसा से बढ़ता है तुम्हारे भीतर अहंकार, दर्प, अभिमान । अभिमान तुम्हारे जीवन की सारी झूठ का जोड़ है, निचोड़ है। ©Anushaka Singh

27 View

Trending Topic