Girijanand Mishra

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#कविता #poetryunpluged  #Poetryunpluged

निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।।
ढलने के बाद भी,
दिन आता निकल 
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।
निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।।
ये मत पूछना,
कल को किसने देखा।
बड़े ही यतन से,
सोच कर हमनें लिखा।
हर कदम रख,
यहां तू संभल।
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।
निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।।

गिरिजा नन्द मिश्र 
पूर्णिया बिहार

निकलेगा हल, आज नहीं तो कल।।

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#Poetryunpluged निकलेगा हल, आज नहीं तो कल। मत हो निराश, ले चल मन विश्वास।। ढलने के बाद भी, दिन आता निकल मत हो निराश, ले चल मन विश्वास। निकलेगा हल, आज नहीं तो कल।। ये मत पूछना, कल को किसने देखा। बड़े ही यतन से, सोच कर हमनें लिखा। हर कदम रख, यहां तू संभल। मत हो निराश, ले चल मन विश्वास। निकलेगा हल, आज नहीं तो कल।। गिरिजा नन्द मिश्र पूर्णिया बिहार ©Girijanand Mishra

#कविता #poetryunpluged #bharatband  #Poetryunpluged

निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।।
ढलने के बाद भी,
दिन आता निकल 
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।
निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।।
ये मत पूछना,
कल को किसने देखा।
बड़े ही यतन से,
सोच कर हमनें लिखा।
हर कदम रख,
यहां तू संभल।
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।
निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।।

गिरिजा नन्द मिश्र 
पूर्णिया बिहार

©Girijanand Mishra

निकलेगा हल आज नहीं तो कल। #bharatband

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#Poetryunpluged निकलेगा हल, आज नहीं तो कल। मत हो निराश, ले चल मन विश्वास।। ढलने के बाद भी, दिन आता निकल मत हो निराश, ले चल मन विश्वास। निकलेगा हल, आज नहीं तो कल।। ये मत पूछना, कल को किसने देखा। बड़े ही यतन से, सोच कर हमनें लिखा। हर कदम रख, यहां तू संभल। मत हो निराश, ले चल मन विश्वास। निकलेगा हल, आज नहीं तो कल।। गिरिजा नन्द मिश्र पूर्णिया बिहार ©Girijanand Mishra

#कविता #poetryunpluged #bharatband  #Poetryunpluged

निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।।
ढलने के बाद भी,
दिन आता निकल 
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।
निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।।
ये मत पूछना,
कल को किसने देखा।
बड़े ही यतन से,
सोच कर हमनें लिखा।
हर कदम रख,
यहां तू संभल।
मत हो निराश,
ले चल मन विश्वास।
निकलेगा हल,
आज नहीं तो कल।।

गिरिजा नन्द मिश्र 
पूर्णिया बिहार

©Girijanand Mishra

निकलेगा हल आज नहीं तो कल। #bharatband

5 Love

#Poetryunpluged कहो तो गीत लिख दूं। या फिर मीत लिख दूं। जिंदगी के सफ़र में यारा, कहो तो प्रीत लिख दूं।। बहारें नित आती जाती है, खग गुंजन यू ही गाती है। सुमन मुस्कान लव खेले, कहो क्या जग रीत लिख दूं।। ओढ़ कर हेमंती चादर, देखो सबनमी धरती। लोरी गा रही ममता, गौरव संगीत लिख दूं।। कहो तो गीत लिख दूं। या फिर मीत लिख दूं।। गिरिजा नन्द मिश्र टीचर्स कॉलोनी पूर्णिया बिहार पिन कोड 854301 ©Girijanand Mishra

#कविता #poetryunpluged  #Poetryunpluged

कहो तो गीत लिख दूं।
या फिर मीत लिख दूं।
जिंदगी के सफ़र में यारा,
कहो तो प्रीत लिख दूं।।
बहारें नित आती जाती है,
खग गुंजन यू ही गाती है।
सुमन मुस्कान लव खेले,
कहो क्या जग रीत लिख दूं।।
ओढ़ कर हेमंती चादर,
देखो सबनमी धरती।
लोरी गा रही ममता,
गौरव संगीत लिख दूं।।
कहो तो गीत लिख दूं।
या फिर मीत लिख दूं।।

गिरिजा नन्द मिश्र
टीचर्स कॉलोनी
पूर्णिया बिहार
पिन कोड 854301

©Girijanand Mishra

कहो तो गीत लिख दूं।

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#Poetryunpluged कहो तो गीत लिख दूं। या फिर मीत लिख दूं। जिंदगी के सफ़र में यारा, कहो तो प्रीत लिख दूं।। बहारें नित आती जाती है, खग गुंजन यू ही गाती है। सुमन मुस्कान लव खेले, कहो क्या जग रीत लिख दूं।। ओढ़ कर हेमंती चादर, देखो सबनमी धरती। लोरी गा रही ममता, गौरव संगीत लिख दूं।। गिरिजा नन्द मिश्र टीचर्स कॉलोनी पूर्णिया बिहार पिन कोड 854301 ©Girijanand Mishra

#कविता #poetryunpluged #bharatband  #Poetryunpluged

कहो तो गीत लिख दूं।
या फिर मीत लिख दूं।
जिंदगी के सफ़र में यारा,
कहो तो प्रीत लिख दूं।।
बहारें नित आती जाती है,
खग गुंजन यू ही गाती है।
सुमन मुस्कान लव खेले,
कहो क्या जग रीत लिख दूं।।
ओढ़ कर हेमंती चादर,
देखो सबनमी धरती।
लोरी गा रही ममता,
गौरव संगीत लिख दूं।।

गिरिजा नन्द मिश्र
टीचर्स कॉलोनी
पूर्णिया बिहार
पिन कोड 854301

©Girijanand Mishra
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