P S Jha

P S Jha Lives in Bhagalpur, Bihar, India

Insta id - Psjhapoet "महज शब्दों का तुकांत नहीं दिल की भाषाएं लिखता हूं । शायद आज पढ़ लें वो, नित नई आशाएं लिखता हूं ।।"

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तुम चली गई पर ये प्रेम अभी भी जिंदा है तुम्हें याद कर जीता हूं, मुहल्ले में निंदा है मानता हूं रीतियों की बंदिशें होंगी तुम पर तुम लौटेगी जरूर, मेरी मुहब्बत चुनिंदा है ©P S Jha

#चुनिंदा #प्रेम #Quotes  तुम चली गई पर ये प्रेम अभी भी जिंदा है
तुम्हें याद कर जीता हूं,  मुहल्ले में निंदा है
मानता हूं रीतियों की बंदिशें होंगी तुम पर
तुम लौटेगी जरूर, मेरी मुहब्बत चुनिंदा है

©P S Jha

रोटी के आधार पिता मां अगर आधार धरती जस पिता जगत का आकाश है मां ममता की पाठशाला तो कर्म सिखाते पिता पास हैं मां खिलाती रोटी पकाकर इस रोटी के आधार पिता हम ख्वाहिश रखते सिर्फ पूरा करने को बाजार पिता पैरों मे छाले पड़ते उनके पर कभी ना मानते हार पिता कैसे पाला जाता परिवार को हमें सिखाते संस्कार पिता खुद ही झेल लेते वो परेशानी हमें देख ना सकते लाचार पिता जरूरत पर मजधार जिंदगी के जरूरत पर खेवनहार पिता हम जहां तक सोच सकते हैं उस सोच के पार पिता मेरी तस्वीर दिखती दुनिया में वो हैं चित्राधार पिता ©P S Jha

#father  रोटी के आधार पिता

 मां अगर आधार धरती जस 
पिता जगत का आकाश है
मां ममता की पाठशाला तो
कर्म सिखाते पिता पास हैं 

मां खिलाती रोटी पकाकर
इस रोटी के आधार पिता
हम ख्वाहिश रखते सिर्फ 
पूरा करने को बाजार पिता 

पैरों मे छाले पड़ते उनके 
पर कभी ना मानते हार पिता
कैसे पाला जाता परिवार को 
हमें सिखाते संस्कार पिता

खुद ही झेल लेते वो परेशानी 
हमें देख ना सकते लाचार पिता
जरूरत पर मजधार जिंदगी के 
जरूरत पर खेवनहार पिता

हम जहां तक सोच सकते हैं 
उस सोच के पार पिता
मेरी तस्वीर दिखती दुनिया में 
वो हैं चित्राधार पिता

©P S Jha

#father

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कि दूर रह कर भी मुझसे ,वो गुनाह सरेआम होने लगा उनसे हमें इश्क अब तो बेपनाह ,खुलेआम होने लगा ©P S Jha

#बेपनाह #इश्क #Quotes  कि दूर रह कर भी मुझसे ,वो गुनाह सरेआम होने लगा
उनसे हमें इश्क अब तो बेपनाह ,खुलेआम होने लगा

©P S Jha

कैसे ना होता इश्क, उनकी भोली आदतों से हमें जुबां नफरती आंखों में प्रेम प्रेम में अश्क कमजोर कर देता था हमें ©P S Jha

#अश्क #Quotes  कैसे ना होता इश्क,
 उनकी भोली आदतों से हमें 
 जुबां नफरती
आंखों में प्रेम 
प्रेम में  अश्क 
कमजोर कर देता था हमें

©P S Jha

#अश्क #Thoughts

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#कविता

चुनावी हास्य कविता

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#AzaadKalakaar वो मुकम्मल जिंदगी नहीं जिसके रग - रग में देशभक्ति ना हो वो पानी है खून नहीं जिसमें दुश्मनों से लडने की शक्ति ना हो प्रेयसी के चाल - चरित्र का बखान करना काम नहीं हमारा वो लेखनी ही क्या जिसमें माँ भारती के गान की प्रवृत्ति ना हो ©P S Jha

#AzaadKalakaar  #AzaadKalakaar वो मुकम्मल जिंदगी नहीं जिसके रग - रग में  देशभक्ति ना हो
वो पानी है खून नहीं जिसमें दुश्मनों से लडने की शक्ति ना हो
प्रेयसी के चाल - चरित्र का बखान करना काम नहीं हमारा
वो लेखनी ही क्या जिसमें माँ भारती के गान की प्रवृत्ति ना हो

©P S Jha
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