Himanshu Srivastava

Himanshu Srivastava Lives in Allahabad, Uttar Pradesh, India

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#ज़िन्दगी #Glazing #Hindi #poem  चित्र भी विचित्र है 
चित्त भी विचित्र है
इस चित्त के चल चित्र में विचित्र ये चित्र है
इस चित्र के इत्र से महक उठा मेरा चरित्र है
चरित्र ही मेरा मित्र है
मित्र भी विचित्र है
यह मित्र तो अत्र है यत्र है तत्र है सर्वत्र है
जो सर्वत्र है उसी के पवित्र चित्त में मेरा चित्र है ।।

©Himanshu Srivastava

#Glazing #Life #poem #Hindi

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#विचार #गाँव #village  खेत खलियान और ये सुंदर बगीचे 
गांव की मिट्टी अपनी ओर खींचे।

©Himanshu Srivastava
#कृष्ण #कविता #janmashtami #Krishna  जीवन जीने की कला मात्र कृष्ण हैं
विश्व का कल्याण मात्र कृष्ण हैं
धर्म अनेक हैं पर देव सबके कृष्ण हैं
गुरु सबके हैं पर विश्वगुरु तो कृष्ण हैं
बंसी अनेक है किंतु राग सिर्फ कृष्ण हैं
प्रेमी अनेक हैं पर राधा के सिर्फ कृष्ण हैं
रंग तो अनेक हैं पर जो श्याम है वो कृष्ण हैं 
रूप हैं अनेक पर हर रूप में जो बसे वो कृष्ण हैं 
आत्मा हैं अनेक परमात्मा सिर्फ कृष्ण हैं
किरदार हैं अनेक पर सार सबके कृष्ण हैं

©Himanshu Srivastava
#नदी  पत्थरों से पानी इतना टकराया है 
तब नदियों को बोलने का हुनर आया है

©Himanshu Srivastava

#नदी

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#Internet #Shayar #peace   चलो वहां जहां ..
जिंदगी फटा फट न हो
कोई इंटरनेट न हो
दुनियादारी की झंझट न हो
खुद का खुद से कनेक्ट हो
 जिन्दगी का आउटपुट हो

©Himanshu Srivastava

सवाल जो गुजरनी थी वो गुजर गई वो रात कहाँ से लाऊँ जो हो न सकी तुमसे वो बात कहाँ से लाऊँ तू जीत गयी तो जीत गयी मै हार गया तो हार गया गहरे ज़ख्म मिले हैं बोलो खुद को बेदाग कहाँ से लाऊँ ©Himanshu Srivastava

#afterlongtime #WForWriters #nojato  सवाल  जो गुजरनी थी वो गुजर गई वो रात कहाँ से लाऊँ
जो हो न सकी तुमसे वो बात कहाँ से लाऊँ
तू जीत गयी तो जीत गयी मै हार गया तो हार गया
गहरे ज़ख्म मिले हैं बोलो खुद को बेदाग कहाँ से लाऊँ

©Himanshu Srivastava
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