Micku Nagar

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मैं मुकेश कुमार नागर ( मिक्कू.. ) राजस्थान के झालावाड़ जिले के एक छोटे से गांव #चछलाव से ताल्लुक रखता हूं । गणित विषय से ड्रॉप आउट करने के बाद मनोविज्ञान में स्नातक पूर्ण किया है , वर्तमान में शिक्षा स्नातक (B.Ed) पूर्ण किया है कविताएं मुझे सरल बनाती है । प्रेम पर लिखना और पढ़ना पसंद है। किसी विरान जगह पर जाना पड़े तब भी मैं दो काम करना पसंद करूंगा - किताबें पढ़ना और बागवानी करना #MYSTERIOUS THOUGHTS पहला संकलन है जिसमें मेरी रचनाएं प्रकाशित हुई है । और पढ़ने के लिए बने रहे ......

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मैं तुम्हारे साथ प्रकृति के सुंदर स्थानों पर घूमना चाहता हूं। झरनों का खूबसूरत संगीत सुनना चाहता हूं सागर की रेत पर तुम्हारे क़दमों के साथ पैरों के निशान छोड़ना चाहता हूं। रात आसमान में तारे गिनना, कविताएँ बुनते हुए कहानियाँ लिखना और बारिश की लय में नाचते गाते तुम्हारी आँखों की गहराई में डूबना चाहता हूं। और अंत में तुम्हारी बाहों के आराम में सोना चाहता हूं यह सब मुझे एक सपने की तरह लगता हैं हसरत है कि इस सपने की कभी सुबह ना हो ...... °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° ----- मुकेश -----

#कविता #मैं  मैं तुम्हारे साथ 
            प्रकृति के सुंदर स्थानों पर घूमना चाहता हूं।
           झरनों का खूबसूरत संगीत सुनना चाहता हूं
             सागर की रेत पर तुम्हारे क़दमों के साथ 
                   पैरों के निशान छोड़ना चाहता हूं।
                   रात आसमान में तारे गिनना,
              कविताएँ बुनते हुए कहानियाँ लिखना 
                और बारिश की लय में नाचते गाते 
        तुम्हारी आँखों की गहराई में डूबना चाहता हूं।
            और अंत में तुम्हारी बाहों के आराम में 
                  सोना चाहता हूं यह सब मुझे
                    एक सपने की तरह लगता हैं
                  हसरत है कि इस सपने की कभी
                               सुबह ना हो ......
                   °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
                           ----- मुकेश -----

#मैं चाहता हूं

16 Love

#ला  🌈 🌈 🌈 😍

#ला ला ल ला ला

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#कुछ_नहीं_बदला ------------------------- आज सुबह जल्दी उठ गया था सूरज को निकलते हुए देखा , ठीक बिल्कुल वैसा ही - जैसा हमेशा से देखता आया हूं थोड़ा सुकून मिला ..... मनपसंद किताब से थोड़ी गुफ्तगू कर ली देखा अभी तक मेरी किताबों को मैं पसंद हूं कुछ नहीं बदला...... आज भी अपना खाना खुद बना कर खाया रूम की सफाई की और मन किया तो सो लिया। गजब की नींद आयी यार.... कुछ सच्चे दोस्तो से बातें की , वो जानते है मुझे मनचाही फिल्म दुबारा देख ली , दो गाने भी सुने मेरी आदते नहीं बदली ..... थोड़ा समय खुद के साथ बिताया , कुछ बातें हुई खुद से दो नए फैसले लिए , खुद के लिए और अब कुछ नहीं बचा तो , कुछ लिख रहा हूं...... किसी के ज़िन्दगी में होने ना होने से कुछ नहीं बदलता मेरे पास खुश होने के हजार विकल्प है .... ______________________________ ©️-----_ मुकेश _-----

#कुछ_नहीं_बदला🙃🙃🙃 #कुछ_नहीं_बदला #कविता  #कुछ_नहीं_बदला
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     आज सुबह जल्दी उठ गया था 
सूरज को निकलते हुए देखा , ठीक बिल्कुल 
वैसा ही -  जैसा हमेशा से देखता आया हूं
       थोड़ा सुकून मिला .....

मनपसंद किताब से थोड़ी गुफ्तगू कर ली 
देखा अभी तक मेरी किताबों को मैं पसंद हूं 
       कुछ नहीं बदला......

आज भी अपना खाना खुद बना कर खाया
रूम की सफाई की और मन किया तो सो लिया।
       गजब की नींद आयी यार....

कुछ सच्चे दोस्तो से बातें की , वो जानते है मुझे 
मनचाही  फिल्म दुबारा देख ली , दो गाने  भी सुने
        मेरी आदते नहीं बदली .....

थोड़ा समय खुद के साथ बिताया , कुछ बातें हुई खुद से
         दो नए फैसले लिए , खुद के लिए 
और अब कुछ नहीं बचा तो , कुछ लिख रहा हूं......

किसी के ज़िन्दगी में होने ना होने से कुछ नहीं बदलता
मेरे पास खुश होने के हजार विकल्प है ....
______________________________  
©️-----_ मुकेश _-----

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#मृत्यु #कविता  vhgfvhufddvvxvyrbvghvffvcccccccu

-------------------------- वो देर तक देखते है मुझे थोड़ा रुक कर सोचते है मेरी आंखो में झांकने की कोशिश करते है फिर संभलकर भविष्यवाणी करते है मेरे कपड़े बेतरतीब है मुझमें बालों को संवारने का सलीका नहीं हैं। मेरे शब्द तीखे चुभते है। मेरे चुनाव किसी के पल्ले न बंधते। मेरे बहुत कम मित्र है, मुझसे नाजुक रिश्ते संभाले नहीं जाते। मुझे अंधेरा पसंद है मुझे अकेलापन रास आता है। में खामोशियों में.... खुद से बातें करता हूं। मानसिक स्तर बदलता रहता है । खुद से नाराज़ रहता हूं। मैं #असामाजिक हूं। मुझमें बनावटीपन और दिखावा नहीं है मैं खुद को और करीबियों को खुश रखता हूं। सबको लगता है ....सबने कहा.... हां , मैं #पागल हूं मुझे #पागलपन पसंद है क्योंकि ....... मैं ...... आसानी से #परिभाषित नहीं होना चाहता। ---------------------- .----- मुकेश ------.

#असामाजिक #परिभाषित #पागलपन #अनुभव #मुझे #पागल  --------------------------
वो देर तक देखते है मुझे
थोड़ा रुक कर सोचते है 
मेरी आंखो में झांकने की कोशिश करते है 
फिर संभलकर भविष्यवाणी करते है
मेरे कपड़े बेतरतीब है
मुझमें बालों को संवारने का 
सलीका नहीं हैं।
मेरे शब्द तीखे चुभते है।
मेरे चुनाव किसी के पल्ले न बंधते।
मेरे बहुत कम मित्र है,
मुझसे नाजुक रिश्ते संभाले नहीं जाते।
मुझे अंधेरा पसंद है
मुझे अकेलापन रास आता है।
में खामोशियों में....
खुद से बातें करता हूं।
मानसिक स्तर बदलता रहता है ।
खुद से नाराज़ रहता हूं।
मैं #असामाजिक हूं।
मुझमें बनावटीपन और दिखावा नहीं है
मैं खुद को और 
करीबियों को खुश रखता हूं।
सबको लगता है ....सबने कहा....
हां , मैं #पागल हूं
मुझे #पागलपन पसंद है क्योंकि
....... मैं ......
आसानी से #परिभाषित नहीं होना चाहता।
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.----- मुकेश ------.

#मुझे#खुद#से प्यार #है

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आज आसमान शांत है हल्की मद्धम सी हवा बह रही है चिड़िया चहचहाहट वाली आवाजें कोयल की कु.. कु..की कूक... और उस पर सतरंगी मोर का सुनहरे और मन को लालायित करने वाले मौसम का आह्वान। मानो मन की डाली हवा में झूम रही हो जैसे टूट कर गिरना चाहती हो प्रेयसी की गोद में बेसब्र होकर आलिंगन करने के लिए। भिनी भीनी सी हल्की मीठी मिट्ठी की खुशबू उसकी देह से छूकर गुजरी हो जैसे। तुम बांध लो अपनी ज़ुल्फ को में उलझना नहीं चाहता। ये काली घटा के बरसने का सही वक़्त नहीं है पंछी लौट रहे है अपने घर को तुम पिंजरे खोल दो में भी रुक जाऊंगा तब जब कोई पिंजरा किसी पंछी की तलाश में तो निकले। -------------------------------------------- --- मुकेश -- ------------------

#कविता #तुम  आज आसमान शांत है 
हल्की मद्धम सी हवा बह रही है
चिड़िया चहचहाहट वाली आवाजें 
कोयल की कु.. कु..की कूक...
और उस पर सतरंगी मोर का
सुनहरे और मन को लालायित करने वाले
मौसम का आह्वान।
मानो मन की डाली हवा में झूम रही हो
जैसे टूट कर गिरना चाहती हो 
प्रेयसी की गोद में 
बेसब्र होकर आलिंगन करने के लिए।
भिनी भीनी सी हल्की मीठी 
मिट्ठी की खुशबू
उसकी देह से छूकर गुजरी हो जैसे।
तुम बांध लो अपनी ज़ुल्फ को 
में उलझना नहीं चाहता।
ये काली घटा के बरसने का सही वक़्त नहीं है
पंछी लौट रहे है अपने घर को 
तुम पिंजरे खोल दो
में भी रुक जाऊंगा तब 
जब कोई पिंजरा 
किसी पंछी की तलाश में तो निकले।
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--- मुकेश --
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#तुम रोक को ना

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