Kishor Taragi   RAJ

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मोटा सा चश्मा टांगे हुए बाबा जी कुण्डलिनी जागरण की दीक्षा दे रहे। ©Kishor Taragi RAJ

#विचार  मोटा सा चश्मा टांगे हुए बाबा जी 
कुण्डलिनी जागरण की दीक्षा 
दे रहे।

©Kishor Taragi   RAJ

मोटा सा चश्मा टांगे हुए बाबा जी कुण्डलिनी जागरण की दीक्षा दे रहे। ©Kishor Taragi RAJ

13 Love

मान्यताएं और रूढ़ियां भी बड़ी तीव्रता से विलुप्त हो जाती हैं, यदि इनके चलन से आर्थिक हित प्रभावित हो रहे हों। हमारे यहां गाय का दूध केवल परिचितों को ही दिया जाता था। मानना था कि इसे अंजान लोगों को देने पर गाय ' बिगड़ ' जाती है। अब दूध का व्यापार हो रहा है और कोई गाय बिगड़ती नहीं। ©Kishor Taragi RAJ

#विचार  मान्यताएं और रूढ़ियां भी बड़ी तीव्रता से 
विलुप्त हो जाती हैं, यदि इनके चलन से आर्थिक हित प्रभावित हो रहे हों।
हमारे यहां गाय का दूध केवल परिचितों को ही दिया जाता था। मानना था कि इसे अंजान लोगों को देने पर गाय ' बिगड़ ' जाती है।
अब दूध का व्यापार हो रहा है और कोई गाय बिगड़ती 
नहीं।

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मान्यताएं और रूढ़ियां भी बड़ी तीव्रता से विलुप्त हो जाती हैं, यदि इनके चलन से आर्थिक हित प्रभावित हो रहे हों। हमारे यहां गाय का दूध केवल परिचितों को ही दिया जाता था। मानना था कि इसे अंजान लोगों को देने पर गाय ' बिगड़ ' जाती है। अब दूध का व्यापार हो रहा है और कोई गाय बिगड़ती नहीं। ©Kishor Taragi RAJ

10 Love

आम लोग आम लोगों को कोस रहे हैं, पसीना पोंछते हुए। जो लोग व्यापार में हिस्सेदार रहे वह चैन से बैठे हैं ए.सी. में। ©Kishor Taragi RAJ

#विचार  आम लोग आम लोगों को कोस रहे हैं, पसीना पोंछते हुए।
जो लोग व्यापार में हिस्सेदार रहे वह चैन से बैठे हैं  ए.सी. में।

©Kishor Taragi   RAJ

आम लोग आम लोगों को कोस रहे हैं, पसीना पोंछते हुए। जो लोग व्यापार में हिस्सेदार रहे वह चैन से बैठे हैं ए.सी. में। ©Kishor Taragi RAJ

14 Love

White I am completely all alone among my best friends, without my dear phone. . ©Kishor Taragi RAJ

#कॉमेडी #Dosti  White I am completely all alone 
among my best friends,
without my dear phone.

.

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#Dosti

10 Love

White बहुत सारी बातों का कोई मतलब नहीं होता हमारे जीवन में।और हम ले रहे हैं हर एक बात को सीरियसली। हल्के में लेना सीखिए बेमतलब की बातों को। ©Kishor Taragi RAJ

#कविता #sunset_time  White बहुत सारी बातों का कोई मतलब नहीं होता 
हमारे जीवन में।और हम ले रहे हैं हर एक 
बात को सीरियसली।
हल्के में लेना सीखिए बेमतलब की बातों को।

©Kishor Taragi   RAJ

#sunset_time

16 Love

यदि पुरुष भी ब्याहे जाते किसी और घर में और जाना होता किसी अनजान परिवार में। क्या उनमें रहता वही प्यार, लगाव और जुड़ाव अपने मां बाप के घर आंगन और खेत खलिहानों से? स्त्री सब जानते हुए कि मायके कि हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज उसके बाद उसकी नहीं, तब भी वह जुड़ाव कम नहीं होने देती।और त्याग देती है बिना सर्त के और लाग और लपेट के। ©Kishor Taragi RAJ

#विचार  यदि पुरुष भी ब्याहे जाते किसी और घर में और 
जाना होता किसी अनजान परिवार में। क्या उनमें 
रहता वही प्यार, लगाव और जुड़ाव अपने मां बाप के घर आंगन और खेत खलिहानों से?
स्त्री सब जानते हुए कि मायके कि हर  छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज उसके बाद उसकी नहीं,
तब भी वह जुड़ाव कम नहीं होने देती।और त्याग 
देती है बिना सर्त के और लाग और लपेट के।

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यदि पुरुष भी ब्याहे जाते किसी और घर में और जाना होता किसी अनजान परिवार में। क्या उनमें रहता वही प्यार, लगाव और जुड़ाव अपने मां बाप के घर आंगन और खेत खलिहानों से? स्त्री सब जानते हुए कि मायके कि हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज उसके बाद उसकी नहीं, तब भी वह जुड़ाव कम नहीं होने देती।और त्याग देती है बिना सर्त के और लाग और लपेट के। ©Kishor Taragi RAJ

11 Love

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