यदि पुरुष भी ब्याहे जाते किसी और घर में और
जाना होता किसी अनजान परिवार में। क्या उनमें
रहता वही प्यार, लगाव और जुड़ाव अपने मां बाप के घर आंगन और खेत खलिहानों से?
स्त्री सब जानते हुए कि मायके कि हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज उसके बाद उसकी नहीं,
तब भी वह जुड़ाव कम नहीं होने देती।और त्याग
देती है बिना सर्त के और लाग और लपेट के।
©Kishor Taragi RAJ
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