Dinesh Singh

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हम सब सपनों में जीते हैं खुशियों के दो घूँट पीते हैं सुखद स्वप्न कहीं टुट न जाए इस डर में जीते रहते हैं

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#कविता #mountainsnearme  ये माना कि मेरी हैसियत ही नहीं
कुछ लिख दूँ ऐसी वसीयत ही नहीं
चाहता हूँ कि जी भर के दे दूँ तुम्हें
मेरी दुआओं की कीमत लगा तो सही

©Dinesh Singh

#mountainsnearme कीमत

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#कॉमेडी  उफ्फ ये गर्मी, अब तो रहम कर
टेम्प्रेचर को अपना, कुछ तो नरम कर
तन तो गरम है, ना मन को गरम कर
करतूतोंं पर अपनी, कुछ तो शरम कर

©Dinesh Singh

उफ्फ ये गर्मी, अब तो रहम कर टेम्प्रेचर को अपना, कुछ तो नरम कर तन तो गरम है, ना मन को गरम कर करतूतोंं पर अपनी, कुछ तो शरम कर ©Dinesh Singh

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#शायरी #samandar  भीगी पलकों से रोको नहीं बह जाने दो
उमड़े हुए समन्दर का सैलाब अभी बाकी है

©Dinesh Singh

#samandar

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भीगी पलकों से रोको नहीं बह जाने दो उमड़े हुए समन्दर का सैलाब अभी बाकी है ©Dinesh Singh

#शायरी #samandar  भीगी पलकों से रोको नहीं बह जाने दो
उमड़े हुए समन्दर का सैलाब अभी बाकी है

©Dinesh Singh

#samandar

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अकेले में अपने आप से जब बात करते हैं ये न समझो कि तुम्हें हम याद करते हैं बन्द हैं जहाँ तुम्हारी यादों की फ़ेहरिस्त रखवाली हम उसी की बस दिन रात करते हैं ©Dinesh Singh

#शायरी #Remember  अकेले में अपने आप से जब बात करते हैं
ये न समझो कि तुम्हें हम याद करते हैं
बन्द हैं जहाँ तुम्हारी यादों की फ़ेहरिस्त
रखवाली हम उसी की बस दिन रात करते हैं

©Dinesh Singh

#Remember

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#शायरी #boat  दौलत की जो ना चढ़ती खुमारी
शोहरत की जैसी ना होती बिमारी
रस्मों रिवाजों की बंदिश ना होती
तो तेरी तसव्वुर में दिन रात होता
खुदा की कसम मैं तेरे पास होता

©Dinesh Singh

#boat

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