White एक मन जिनकी ख्वाइशे कम है, पर जो जरूरी है
उनकी जरूरतों को पूरा कोन करेगा..
समर्थ तो आज भी हु, कुछ कमाने को
पर कुछ के कारण ...
बहुत कुछ के रह जाने का डर मुझे हमेशा रहेगा।।
जिस रास्ते पर हु मानो जैसे वो मेरी मजबूरी है
जिनकी मंजिल का ही नही पता ..
ऐसे रास्तों से डरना भी तो जरूरी है
करू भी तो क्या करू ये मन अब उम्मीदों पर ही तो जिंदा है
ये सफर ये मंजिल मानो आसमान से भी ऊंची है
और मेरा मन जैसे एक भटका हुआ परिंदा है
यकीन है मेहनत पर, पर किस्मत की लकीरों को भी मानने लगा हूं
लिखता नही ' अब हर हादसे पर
समझदार हूं
वक्त की अहमियत जानने लगा हु ।
©Akash Vats
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here