आशीष रॉय 🇮🇳

आशीष रॉय 🇮🇳 Lives in Begusarai, Bihar, India

बिना इश्क़ के जिंदगी कटती नहीं। तो हमने इश्क़ कर ली किताबों से। 9852615777

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खुशी नहीं हमें अब ग़म चाहिए। ठंडा बहुत हैं हमें ऱम चाहिए। ©आशीष रॉय 🇮🇳

#शायरी  खुशी नहीं हमें अब ग़म चाहिए। 

ठंडा बहुत  हैं  हमें  ऱम चाहिए।

©आशीष रॉय 🇮🇳

खुशी नहीं हमें अब ग़म चाहिए। ठंडा बहुत हैं हमें ऱम चाहिए।

13 Love

बिना इश्क़ के जिंदगी कटती नहीं। तो हमने इश्क़ कर ली किताबों से। ©आशीष रॉय 🇮🇳

#शायरी #Books  बिना इश्क़ के जिंदगी कटती नहीं।

तो हमने इश्क़ कर ली किताबों से।

©आशीष रॉय 🇮🇳

बिना इश्क़ के जिंदगी कटती नहीं। तो हमने इश्क़ कर ली किताबों से। #Books

39 Love

जीवन जीते है हम लोग सादा-सादा। पैसे मिलाते है दो जन आधा-आधा। दारू पीते है नमक चार्ट का सादा-सादा। थोड़ा पीते है पेट काटकर ज्यादा-ज्यादा। फिर भी मिलता है D माल आधा-आधा। जीवन जीते है। ........ ©आशीष रॉय 🇮🇳

#शायरी #nojotoshayari  जीवन  जीते   है   हम  लोग सादा-सादा।
पैसे  मिलाते   है   दो  जन  आधा-आधा।
दारू  पीते है नमक चार्ट का सादा-सादा।
थोड़ा पीते है पेट काटकर ज्यादा-ज्यादा।
फिर भी मिलता है  D माल आधा-आधा।
जीवन जीते है। ........

©आशीष रॉय 🇮🇳

जीवन जीते है हम लोग सादा-सादा। #nojotoshayari

50 Love

ऊपर नीचे अपनी सरकार। बीच में जनता पिसे हजार। बंदर की तरह मैं खेल दिखाऊं। जानवर का भी चारा खा जाऊं। -आशीष रॉय।

#शायरी  ऊपर   नीचे   अपनी   सरकार।
बीच  में  जनता    पिसे  हजार।
बंदर की तरह मैं खेल दिखाऊं।
जानवर का भी चारा खा जाऊं।

                      -आशीष रॉय।

ऊपर नीचे अपनी सरकार। बीच में जनता पिसे हजार। बंदर की तरह मैं खेल दिखाऊं। जानवर का भी चारा खा जाऊं। -आशीष रॉय।

55 Love

कविता - रामधारी सिंह दिनकर। दिनकर की रचनाओं ने स्वाभिमान जगाया है। दबी बुझी सी चिंगारी में फिर ज्वाला भड़काया है। कलमों को हथियार बना अंग्रेजों को भगाया है। कविताओं के बल पर आजादी हमें दिलाया है। कविताओं में हुंकार जब दिनकर ने लगाया है। दुश्मन के सीने को दिनकर ने खूब जलाया है। दुश्मन हो या अपने सभी को आईना दिखलाया है। लड़खड़ाती राजनीति को साहित्य से संभाला है। कोरे कागज सा जीवन में साहित्य का दीप जलाया है। उर्वशी में स्त्री का क्या कोमल ह्रदय दर्शाया है। जो देश के लिए तन मन सब अर्पित कर जाता है। वही राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर कहलाता है। - आशीष रॉय।

#कविता #reading  कविता - रामधारी सिंह दिनकर।

दिनकर की रचनाओं ने स्वाभिमान जगाया है।
दबी बुझी सी चिंगारी में फिर ज्वाला भड़काया है।
कलमों को हथियार बना अंग्रेजों को भगाया है।
कविताओं के बल पर आजादी हमें दिलाया है। 

कविताओं में हुंकार जब दिनकर ने लगाया है।
दुश्मन के सीने को दिनकर ने खूब जलाया है।
दुश्मन हो या अपने सभी को आईना दिखलाया है।
लड़खड़ाती राजनीति को साहित्य से संभाला है।

कोरे कागज सा जीवन में साहित्य का दीप जलाया है।
उर्वशी में स्त्री का क्या कोमल ह्रदय दर्शाया है।
जो देश के लिए तन मन सब अर्पित कर जाता है।
वही राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर कहलाता है।

                                           - आशीष रॉय।

कविता - रामधारी सिंह दिनकर। #reading

56 Love

नेताओं को गाड़ी (गाली) ना दें, क्योंकि, वक्त अभी सड़कों पर नाव चलाने का है। -आशीष रॉय

#शायरी #nojotoshayari  नेताओं को गाड़ी (गाली) ना दें, क्योंकि,

वक्त अभी सड़कों पर नाव चलाने का है।

            -आशीष रॉय

#nojoto #nojotoshayari

53 Love

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