वक्त की सिलवटों से हाथों पर पड़ी लकीरें,
जिसे लोग किस्मत कहने लगें।
जिंदगी ने हर बार लिया इम्तहान
कभी फेल तो कभी पास होने लगें।
समय ने जब जब बदली अपनी करवटें
खुदको हर बार हम बदलने लगें।
जीत मिलने का हौसला कभी कम ना हुआ
कांटों को चुनते हुए मंजिल की ओर बढने लगें।
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