Deepak Vishal

Deepak Vishal Lives in Patna, Bihar, India

मैं दीपक हूँ।। अंधेरा मिटाना मेरी फितरत है....

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 आओ आज मैं तुम्हे लिख डालूं।
किसी कविता या ग़ज़ल की तरह।।
कुछ अल्फाजों से तुम्हे सजाऊँ.....
अभी अभी खिला कमल की तरह।।

जोड़ दु कुछ पंक्तियां तेरी तारीफ में...
कुछ गीत बिखेर दूँ।।
कोरे कागज के पन्नों पर ....
तेरी तस्वीर उकेर दूँ।।
हर तरफ बस तू ही तू हो...
हवाओं से बिखरा चमन की तरह।।
आओ आज मैं तुम्हे लिख डालूं।।।

होठों को पहली किरण लिख दूँ।।
जुल्फों को काली घटा....
आंखों को समंदर के मोती लिखूं।
पलकों को दुल्हन की हया।।

चाहत को तेरी लहरें लिख डालूं।
उमड़ती जैसे अनल की तरह।।
आओ आज मैं तुम्हे लिख डालूं।
किसी कविता या ग़ज़ल की तरह।।

Copyright @ दीपक विशाल

©Deepak Vishal

आओ आज मैं तुम्हे लिख दूँ।।

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#tomatofarming #Tomatoes #tomato

टमाटर तैयार है बाजार में जाने को #tomatofarming #tomato #Tomatoes

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कल- कल करती गंगा मइया फसलों का भंडार है। बुद्ध, अशोक, चाणक्य की भूमि, यही तो अपना बिहार है।। ©Deepak Vishal

#Likho  कल- कल करती गंगा मइया
फसलों का भंडार है।
बुद्ध, अशोक, चाणक्य की भूमि,
यही तो अपना बिहार है।।

©Deepak Vishal

#Likho अपना बिहार

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इश्क में डूबकर मैं बनारस हुआ। तुम हो गंगा की धारा चली जा रही।। मैं खड़ा देखता घाट की सीढ़ियां। तुम हो चंचल मग्न में बही जा रही।। इश्क में डूबकर मैं बनारस हुआ।।। प्रेम की डोरी ऐसी बंधी है यहां... मैं किनारों से देखूं तू जाए जहां डूबकर तुझमे तुलसी सा पावन हुआ। तुम तो अविरल हो मुझमे घुली जा रही।। इश्क में डूबकर मैं बनारस हुआ।। ©Deepak Vishal

#शायरी #wait  इश्क में डूबकर मैं बनारस हुआ।
तुम हो गंगा की धारा चली जा रही।।
मैं खड़ा देखता घाट की सीढ़ियां।
तुम हो चंचल मग्न में बही जा रही।।
इश्क में डूबकर मैं बनारस हुआ।।।

प्रेम की डोरी ऐसी बंधी है यहां...
मैं किनारों से देखूं तू जाए जहां
डूबकर तुझमे तुलसी सा पावन हुआ।
तुम तो अविरल हो मुझमे घुली जा रही।।
इश्क में डूबकर मैं बनारस हुआ।।

©Deepak Vishal

इश्क में डूबकर मैं बनारस हुआ। #wait

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पैसों का है खेल निराला, पैरों पर गिरा देती है।। कौन रिस्ते कितने निकट है, एक क्षण में समझा देती है।। कर्म कांड सब पैसो से, अब तो यही जमाना है। प्यार मुहबत कौन चिड़िया है, वो सब बस बहाना है।। अगर पैसा है पास में तो दुनिया तुम्हारे साथ है। खाली हुई जेब अगर तब कौन पकड़ता हाथ है? चोरी करो, डांका डालो चाहें बेचो ईमान... करो फरेब, अपहरण,लूट और बन जाओ बेईमान।। लाओ पैसा अमीर बनो तब होगा सम्मान क्या होना था क्या हो गए देख लो आज इंसान।। ©Deepak Vishal

#समाज #dost  पैसों का है खेल निराला, पैरों पर गिरा देती है।।
कौन रिस्ते कितने निकट है, एक क्षण में समझा देती है।।
कर्म कांड सब पैसो से, अब तो यही जमाना है।
प्यार मुहबत कौन चिड़िया है, वो सब बस बहाना है।।
अगर पैसा है पास में तो दुनिया तुम्हारे साथ है।
खाली हुई जेब अगर तब कौन पकड़ता हाथ है?

चोरी करो, डांका डालो चाहें बेचो ईमान...
करो फरेब, अपहरण,लूट और बन जाओ बेईमान।।

लाओ पैसा अमीर बनो तब होगा सम्मान
क्या होना था क्या हो गए देख लो आज इंसान।।

©Deepak Vishal

पैसों का खेल निराला #dost

9 Love

तुम बेखबर रहो मेरे दर्द से... ख्वामख्वाह परेशान ना हो। समझ तो जाते ही हो अक्सर अब तुम नादान ना हो।। तप्ती धूप में जलकर ये रास्ता बनाया है की फिर से कोई गुमनाम ना हो... उम्र गुजार दी हमने उनके रहनुमाई में, की मेरी तरह कोइ बदनाम ना हो।। तुम बेखबर रहो मेरे दर्द से... ख्वामख्वाह परेशान ना हो।। Copyright @ दीपक विशाल ©Deepak Vishal

#शायरी #delusion  तुम बेखबर रहो मेरे दर्द से...
ख्वामख्वाह परेशान ना हो।
समझ तो जाते ही हो अक्सर
अब तुम नादान ना हो।।

तप्ती धूप में जलकर ये रास्ता बनाया है
की फिर से कोई गुमनाम ना हो...

उम्र गुजार दी हमने उनके रहनुमाई में,
की मेरी तरह कोइ बदनाम ना हो।।

तुम बेखबर रहो मेरे दर्द से...
ख्वामख्वाह परेशान ना हो।।

Copyright @ दीपक विशाल

©Deepak Vishal

ख्वामख्वाह परेशान ना हो.... #delusion Pratibha Tiwari(smile)🙂 @suman kadvasra @theroyalwriter

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