Nasir Ahmed

Nasir Ahmed Lives in Kondagaon, Chhattisgarh, India

Assistant Professor of Chemistry

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ख़ुशनुमा दिन, महकती शाम हो जाए। सारे गुल गुलशन के गुलफ़ाम हो जाएं।। मुस्कुराहट हमेशा रहे तेरे होंठों पर, तेरे दामन में जहां की खुशियां तमाम हो जाएं। तेरे लब हिलने से पहले ही पूरी हो तेरी हर इक मुराद, ख़ुदा का तेरे लिए कोई ऐसा एहतेमाम हो जाये। मेरा अक्स नज़र आता है मुझे तुझमें, मेरी कामयाबी भी एक दिन तेरे नाम हो जाये।। दुआ है 'नसीर' की ख़ुदा से तेरे इस खुसूसी दिन पर, खुशियां दोनो जहाँ की बस तेरे नाम हो जाएं।।

#जन्मदिन #मोहब्बत #प्यार #इश्क़ #दुआ  ख़ुशनुमा दिन, महकती शाम हो जाए।
सारे गुल गुलशन के गुलफ़ाम हो जाएं।।

मुस्कुराहट हमेशा रहे तेरे होंठों पर,
तेरे दामन में जहां की खुशियां तमाम हो जाएं।

तेरे लब हिलने से पहले ही पूरी हो तेरी हर इक मुराद,
ख़ुदा का तेरे लिए कोई ऐसा एहतेमाम हो जाये।

मेरा अक्स नज़र आता है मुझे तुझमें,
मेरी कामयाबी भी एक दिन तेरे नाम हो जाये।।

दुआ है 'नसीर' की ख़ुदा से तेरे इस खुसूसी दिन पर,
खुशियां दोनो जहाँ की बस तेरे नाम हो जाएं।।
#पहली_बार #Pehli_Baar

मन में एक उथल पुथल सी थी अरमां भी थे कुछ बेकरार जब टकराईं नज़रें तुमसे जब हुए रूबरू पहली बार जब पहली बार मिले थे हम उस दीद की ईद मुबारक हो।। यूं तो पहले भी कई दफ़े गुफ्तार हुई थी दोनों में इस मुलाक़ात के लिये लेकिन सरगोशी थी दिल के कोनों में ज़बां लरज़ रही थी कुछ कहने में उस दीद की ईद मुबारक हो।। दिन के लंबे इंतेज़ार के बाद यकायक तुमसे जब नज़रें मिलीं गर्मी की तपिश से छुटकारा देने मानो बारिश की फुहारें खिलीं दुआ थी कि सुकूं का पल यहीं थम जाए उस दीद की ईद मुबारक हो।। कुछ पल की मुलाक़ात थी लेकिन राहत एक अरसे का दे गयी न बातें ही कुछ ख़ास हुई लेकिन सुकून सदियों का दे गयी। हो ही गए थे इक दूजे के जिस दिन उस दीद की ईद मुबारक हो।।

 मन में एक उथल पुथल सी थी
अरमां भी थे कुछ बेकरार
जब टकराईं नज़रें तुमसे
जब हुए रूबरू पहली बार
जब पहली बार मिले थे हम
उस दीद की ईद मुबारक हो।।

यूं तो पहले भी कई दफ़े
गुफ्तार हुई थी दोनों में
इस मुलाक़ात के लिये लेकिन
सरगोशी थी दिल के कोनों में
ज़बां लरज़ रही थी कुछ कहने में
उस दीद की ईद मुबारक हो।।

दिन के लंबे इंतेज़ार के बाद
यकायक तुमसे जब नज़रें मिलीं
गर्मी की तपिश से छुटकारा देने
मानो बारिश की फुहारें खिलीं
दुआ थी कि सुकूं का पल यहीं थम जाए
उस दीद की ईद मुबारक हो।।

कुछ पल की मुलाक़ात थी लेकिन
राहत एक अरसे का दे गयी
न बातें ही कुछ ख़ास हुई लेकिन
सुकून  सदियों का दे गयी।
हो ही गए थे इक दूजे के जिस दिन
उस दीद की ईद मुबारक हो।।

मन में एक उथल पुथल सी थी अरमां भी थे कुछ बेकरार जब टकराईं नज़रें तुमसे जब हुए रूबरू पहली बार जब पहली बार मिले थे हम उस दीद की ईद मुबारक हो।। यूं तो पहले भी कई दफ़े गुफ्तार हुई थी दोनों में इस मुलाक़ात के लिये लेकिन सरगोशी थी दिल के कोनों में ज़बां लरज़ रही थी कुछ कहने में उस दीद की ईद मुबारक हो।। दिन के लंबे इंतेज़ार के बाद यकायक तुमसे जब नज़रें मिलीं गर्मी की तपिश से छुटकारा देने मानो बारिश की फुहारें खिलीं दुआ थी कि सुकूं का पल यहीं थम जाए उस दीद की ईद मुबारक हो।। कुछ पल की मुलाक़ात थी लेकिन राहत एक अरसे का दे गयी न बातें ही कुछ ख़ास हुई लेकिन सुकून सदियों का दे गयी। हो ही गए थे इक दूजे के जिस दिन उस दीद की ईद मुबारक हो।।

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