Farookh Mohammad

Farookh Mohammad Lives in Bhilai, Chhattisgarh, India

A Learner, poetry lover.

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koi bole kal se daru pakka band. ©Farookh Mohammad

#GovindaMeme #मीम #FMtalks  koi bole kal se daru pakka band.

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अब हर बात को कहने से डरते हैं,जीना छूट गया कहीं बहुत पीछे अब तो बस मरते हैं। ©Farookh Mohammad

#कविता #FMtalks  अब हर बात को कहने से डरते हैं,जीना छूट गया कहीं बहुत पीछे अब तो बस मरते हैं।

©Farookh Mohammad

#FMtalks

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#कविता #FMtalks #safar  जब तुमपे मरना शुरू किया ।
सपने सजाने लगे जब दोनों,
तुमने हिसाब लगाना शुरू किया,
फायदा नुकसान देखकर फिर तुमने।
अपना रास्ता अलग किया।
अब मैं अकेला अपने सफर में हूँ।

©Farookh Mohammad

  पागलों के घर जिस रास्ते से होकर मैं रोज गुजरता हूं , कुछ दिन पहले एक विक्षिप्त पागल व्यक्ति को हाथ में कुछ लकड़ियां और पॉलिथीन वगैरह पकड़े देखा । हर दिन वह मुझे रास्ते में दिखाई देता और उसके हाथ में वही सब सामान होता ,एक दिन मैंने देखा उस व्यक्ति ने नेशनल हाईवे से लगकर एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे उन्हीं सब सामानों से अपने लिए एक छोटा सा घर बना लिया था हालांकि हम लोगों की नजर में उसे बस एक कचरों का ढेर ही कहा जा सकता है,रोज आते जाते उसकी दिनचर्या पर अनायास ही मेरी नजर चली जाती। कुछ दिनों के बाद उसी रास्ते पर एक महिला जिसने कपड़ों के नाम पर कुछ चिथड़े ही पहने थे और उसे देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह भी मानसिक रुप से अस्वस्थ है दिखाई दी उसके हाथ में भी कुछ लकड़ियां पॉलिथीन आदि  कचरा ही था । कुछ दिनों तक वह भी रोज  ही दिखाई देने लगी रास्ते पर उसी तरह, अचानक कुछ दिनों के बाद मैंने देखा उसी पेड़ के नीचे अब दो घर बने हुए थे, बिल्कुल एक दूसरे से लग कर मुझे बहुत हैरत हुई कि जिन लोगों को  हम  पागल समझते हैं उन लोगों को भी इतनी समझ तो है के हमें अपने जैसे लोगों के साथ ही रहना चाहिए इसीलिए इंसानी बस्तियों से दूर उन दो पागलों ने अपने लिए दो छोटे-छोटे घर बना ले लिए थे।                                       (फारूख मोहम्मद )                                      मो. 8770984134 ©Farookh Mohammad

#पागलोंकेघर #ज़िन्दगी #FMtalks    पागलों के घर
जिस रास्ते से होकर मैं रोज गुजरता हूं ,
कुछ दिन पहले एक विक्षिप्त पागल व्यक्ति को हाथ में कुछ लकड़ियां और पॉलिथीन वगैरह पकड़े देखा ।
हर दिन वह मुझे रास्ते में दिखाई देता और उसके हाथ में वही सब सामान होता ,एक दिन मैंने देखा उस व्यक्ति ने नेशनल हाईवे से लगकर एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे उन्हीं सब सामानों से अपने लिए एक छोटा सा घर बना लिया था हालांकि हम लोगों की नजर में उसे बस एक कचरों का ढेर ही कहा जा सकता है,रोज आते जाते उसकी दिनचर्या पर अनायास ही मेरी नजर चली जाती।
कुछ दिनों के बाद उसी रास्ते पर एक महिला जिसने कपड़ों के नाम पर कुछ चिथड़े ही पहने थे और उसे देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह भी मानसिक रुप से अस्वस्थ है दिखाई दी उसके हाथ में भी कुछ लकड़ियां पॉलिथीन आदि  कचरा ही था ।
कुछ दिनों तक वह भी रोज  ही दिखाई देने लगी रास्ते पर उसी तरह, अचानक कुछ दिनों के बाद मैंने देखा उसी पेड़ के नीचे अब दो घर बने हुए थे, बिल्कुल एक दूसरे से 
लग कर मुझे बहुत हैरत हुई कि जिन लोगों को  हम  पागल समझते हैं उन लोगों को भी इतनी समझ तो है के हमें अपने जैसे लोगों के साथ ही रहना चाहिए इसीलिए इंसानी बस्तियों से दूर उन दो पागलों ने अपने लिए दो छोटे-छोटे घर बना ले लिए थे।
                                      (फारूख मोहम्मद )
                                     मो. 8770984134

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ज़िंदगी से फिर भी गिला नही है मुझको, जिसे भी चाहा वो मिला नही है मुझको पतझड़ में जैसे पत्ते टूट जाते हैं शाखों से, चला गया वो यकीं अब भी नही है मुझको ©Farookh Mohammad

#कविता #AloneInCity #FMtalks  ज़िंदगी से फिर भी गिला नही है मुझको,
जिसे भी चाहा वो मिला नही है मुझको
पतझड़ में जैसे पत्ते टूट जाते हैं शाखों से,
चला गया वो यकीं अब भी नही है मुझको

©Farookh Mohammad
#FarookhMohammad #कविता #OctoberCreator #FMtalks #Hope
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