•● R.Raj

•● R.Raj "कविराज" ●• Lives in Lucknow, Uttar Pradesh, India

आर्टिस्ट, कवि, शायर.....ऊपर वाले कि रचना को देखा है दिल से, बनाया है, रंगा है, और शब्दों से सजाया है। Instagram: hush.gamer youtube channel : https://www.youtube.com/channel/UCGsUQ_hldTYyJ7P0cYFkWCw

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#ये_सिगरेट_सा_तेरा_इश्क़ तम्बाखू जैसी इन कड़वी बातों को तेरी, सोचता हूँ, ज़िन्दगी के कागज़ में लपेट कर, सुलगा दूँ, और उन सब ज़हरीली यादों को धुएं जैसे, आसमाँ में उड़ा दूँ, दम घुटता है औ' अब सीने में अजब दर्द सा है, सोचता हूँ तेरे नशे की ये, आदत बुरी छुड़ा लूँ, सुलगते हुए जब राख गिरेगी इस ज़मी पर, हवा सब उड़ा ले जाये, ये दुआ मांगता हूँ । ©•● R.Raj "कविराज" ●•

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तम्बाखू जैसी इन कड़वी बातों को तेरी,
सोचता हूँ,
ज़िन्दगी के कागज़ में लपेट कर,
सुलगा दूँ,
और उन सब ज़हरीली यादों को धुएं जैसे,
आसमाँ में उड़ा दूँ,
दम घुटता है औ' अब सीने में अजब दर्द सा है,
सोचता हूँ तेरे नशे की ये,
आदत बुरी छुड़ा लूँ,
सुलगते हुए जब राख गिरेगी इस ज़मी पर,
हवा सब उड़ा ले जाये,
ये दुआ मांगता हूँ ।

©•● R.Raj "कविराज" ●•

** बाप ** वो थकता था, लड़ता था, तकलीफें उठाता था, खुद के लिए नहीं, वो परिवार के लिए कमाता था, दिन रात सब बराबर थे उसके लिए, वो ठंड में भी जब पसीने बहाता था, उम्र गुज़री और कुछ तकलीफ में क्या आये, वही परिवार अब उसे हर रोज़ ठुकराता था, था पड़ा अकेला बेबस सा वो एक कमरे में, पर अब भी मन में वही गीत गुनगुनाता था, जब उठाया था गोदी में पहली बार उसे, और वो देख देखकर उसे यूँ मुस्कुराता था, अकेला छोड़ा नहीं था जिसने कभी, वो 'बाप' अंधेरे में ..गुमनाम कराहता था । @ऋषि सिंह ©•● R.Raj "कविराज" ●•

#कविता #hindi_poetry #nojotohindi #बाप #Rshayari  ** बाप **

वो थकता था, लड़ता था, तकलीफें उठाता था,
खुद के लिए नहीं, वो परिवार के लिए कमाता था,
दिन रात सब बराबर थे उसके लिए,
वो ठंड में भी जब पसीने बहाता था,
उम्र गुज़री और कुछ तकलीफ में क्या आये,
वही परिवार अब उसे हर रोज़ ठुकराता था,
था पड़ा अकेला बेबस सा वो एक कमरे में,
पर अब भी मन में वही गीत गुनगुनाता था,
जब उठाया था गोदी में पहली बार उसे,
और वो देख देखकर उसे यूँ मुस्कुराता था,
अकेला छोड़ा नहीं था जिसने कभी,
वो 'बाप' अंधेरे में ..गुमनाम कराहता था ।
@ऋषि सिंह

©•● R.Raj "कविराज" ●•

#ठिठोली माँ आज हँस ले ना तू भी, बहुत बरस हुए मुस्काई ना तू, बिता दिया जीवन बन त्यागी, खुशियां भी कुछ पाई ना तू, थक जाती थी, फिर भी भागी, अपने बच्चों के खातिर तू, खुद पीड़ा में रोई हो कितना, पर हम रोते तो हँसाती तू, चल छोड़ आज ये घर के काम, बन हम सबकी आज हमजोली माँ, कुछ तू कह, कुछ हम कहते हैं, करतें हैं आज हँसी ठिठोली माँ, भूल जा ग़म सारे तू, चल करते हैं ऐसा सौदा माँ, बन जाता मैं कान्हा तेरा और तू मेरी यशोदा माँ । @ऋषि 'राज' सिंह

#ठिठोली #nihshabdhwriters #कविता #nihshabdhhindi #hindi_poetry #nojotohindi  #ठिठोली

माँ आज हँस ले ना तू भी,
बहुत बरस हुए मुस्काई ना तू,
बिता दिया जीवन बन त्यागी,
खुशियां भी कुछ पाई ना तू,
थक जाती थी, फिर भी भागी,
अपने बच्चों के खातिर तू,
खुद पीड़ा में रोई हो कितना,
पर हम रोते तो हँसाती तू,
चल छोड़ आज ये घर के काम,
बन हम सबकी आज हमजोली माँ,
कुछ तू कह, कुछ हम कहते हैं,
करतें हैं आज हँसी ठिठोली माँ,
भूल जा ग़म सारे तू, चल करते हैं ऐसा सौदा माँ,
बन जाता मैं कान्हा तेरा और तू मेरी यशोदा माँ ।
@ऋषि 'राज' सिंह

वो 'राहत' दिलों की कोई और ले गया, फिर से चुरा के कोई, कोहिनूर ले गया, जादूगर था वो कलम को कागज़ पे चलाने का, जो शायरी को अपना ही अलग दौर दे गया...... ©ऋषि सिंह

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फिर से चुरा के कोई, कोहिनूर ले गया,
जादूगर था वो कलम को कागज़ पे चलाने का,
जो शायरी को अपना ही अलग दौर दे गया......

©ऋषि सिंह

#घाट कल कल ध्वनि से बहतीं नदियां, संग साथ चला एक थार है, कहीं पूज्य,कहीं किले तमाम, कहीं मंदिर अपरम्पार हैं, कहीं उड़ रहे गुलाल,कहीं, रंगीं पुष्पों की बारिश है, कहीं हो रहे दीप प्रज्वलित, तो कहीं क़त्ल की साजिश है, गूंज रही ध्वनि घंटों की, और कहीं करतल,सुर ताल है, कहीं घूमते प्रेमी युगल, तो कहीं मछुवारों का जाल है, कहीं पर बन उपजाउ जहां को, भोजन भरपूर कराता है, कहीं हरियाली,कहीं वन उपवन, कहीं दूषित मन शुद्ध कराता है, कहीं संगम का तट कहलाता, कहीं मुक्ति का द्वार है, कहीं जल रहीं ढेर चिताएं, तो कोई आत्महत्या को लाचार है, क्या क्या देखा है इसने युगों से, ये हर घटना का कपाट है, कभी पढ़ कर देखो इसके विचार, ये रुका हुआ सा .....घाट है। @ऋषि सिंह

#कविता #घाट_🙏 #nojotowriters #hindi_poetry #nojotohindi  #घाट

कल कल ध्वनि से बहतीं नदियां, संग साथ चला एक थार है,
कहीं पूज्य,कहीं किले तमाम, कहीं मंदिर अपरम्पार हैं,
कहीं उड़ रहे गुलाल,कहीं, रंगीं पुष्पों की बारिश है,
कहीं हो रहे दीप प्रज्वलित, तो कहीं क़त्ल की साजिश है,
गूंज रही ध्वनि घंटों की, और कहीं करतल,सुर ताल है,
कहीं घूमते प्रेमी युगल, तो कहीं मछुवारों का जाल है,
कहीं पर बन उपजाउ जहां को, भोजन भरपूर कराता है,
कहीं हरियाली,कहीं वन उपवन, कहीं दूषित मन शुद्ध कराता है,
कहीं संगम का तट कहलाता, कहीं मुक्ति का द्वार है,
कहीं जल रहीं ढेर चिताएं, तो कोई आत्महत्या को लाचार है,
क्या क्या देखा है इसने युगों से, ये हर घटना का कपाट है,
कभी पढ़ कर देखो इसके विचार, ये रुका हुआ सा .....घाट है।

@ऋषि सिंह

" खुद को अकेला ना समझाकर बंदे, कहीं ना कहीं कोई तो तेरे लिए होता है, ज़रूरी तो नहीं हर शख़्स चाँद से आया हो, कोई दोस्त अक्सर, दूसरे ग्रह से भी होता है ।" ....©ऋषि सिंह

#nojotohindi #Rshayari #rkalamse #Dosti  " खुद को अकेला ना समझाकर बंदे, 
कहीं ना कहीं कोई तो तेरे लिए होता है,
ज़रूरी तो नहीं हर शख़्स चाँद से आया हो,
कोई दोस्त अक्सर, दूसरे ग्रह से भी होता है ।"

....©ऋषि सिंह
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