बदलते इस वक्त ने वक्त पूराने बदल दिए,
कुछ नासमझी ने देखो कैसे मेरे यार बदल दिए,
बदलते इस वक्त ने वक्त पूराने बदल दिए।
ना समझी रिश्तों की डोर को
समझ ने देखो कैसे जकड़ लिया,
जिन यारो का ज़िक्र किया करते थे हर महफ़िल मे,
आज उन्ही ने हकीकत को मेरे सामने खड़ा किया।
मै समझता था खुदा से बढ़कर जिन्हें
उन्ही ने अकेला कर दिया,
वक्त की चोट ने यारो,
घाव मेरा और गहरा कर दिया।
©Divya Tomkyal
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