Pranangi Mistry

Pranangi Mistry Lives in Ahmedabad, Gujarat, India

जज़्बात का सफर... दिल ❤ से कलम✒ तक follow on instagram _dill_se_kalam_tak

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अलफ़ाज़ है मगर उसमे जज़्बात नहीं है तेरे मेरे बीच में, रिश्ते अब खास नहीं है सन्नाटो में, बीते कल की कही गूँजे है सन्नाटे अब पहले की तरह चुप चाप नहीं है मिलावटी चीजों का बाजार लगा है इश्क़ भी यहाँ अब पाक नहीं है ज़िंदगी भर की मस्सकत लग जाती है कफ़न को खरीदना आसान बात नहीं है

#gazal  अलफ़ाज़ है मगर उसमे जज़्बात नहीं है
तेरे मेरे बीच में, रिश्ते अब खास नहीं है

सन्नाटो में, बीते कल की कही गूँजे है
सन्नाटे अब पहले की तरह चुप चाप नहीं है

मिलावटी चीजों का बाजार लगा है
इश्क़ भी यहाँ अब पाक नहीं है

ज़िंदगी भर की मस्सकत लग जाती है
कफ़न को खरीदना आसान बात नहीं है

#gazal

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गुलाब रस्ते पे बिखरे हुए कांटे बता रहे है किसी वकत पे यहाँ गुलाबो की भी कमी नहीं थी

#गुलाब  गुलाब रस्ते पे बिखरे हुए कांटे बता रहे है 
किसी वकत पे यहाँ गुलाबो की भी कमी नहीं थी

अख़बार माना अख़बार हूँ मै पर मुझे इतना भी कम मत समझो तुम अगर अपनी पे आ गया ना तो सारा जहाँ जलाने के लिए मेरा एक टुकड़ा ही काफी है

#अख़बार  अख़बार माना अख़बार हूँ मै पर 
मुझे इतना भी कम मत समझो तुम 
अगर अपनी पे आ गया ना तो 
सारा जहाँ जलाने के लिए 
मेरा एक टुकड़ा ही काफी है

तन्हाई तन्हाईयो से नहीं शिकायत हमें वो भी लाज़मी है ज़िंदगी के लिए बस इतनी सी इल्तजा है तन्हाई से के वो तनहा ही आया करे यु उनकी यादों को साथ लाके हमे रुलाया ना करें

#तन्हाई  तन्हाई तन्हाईयो से नहीं शिकायत हमें 
वो भी लाज़मी है ज़िंदगी के लिए 
बस इतनी सी इल्तजा है 
तन्हाई से 
के वो तनहा ही आया करे
 यु उनकी यादों को साथ लाके
हमे रुलाया ना करें

#तन्हाई तन्हाईयो से नहीं शिकायत हमें वो भी लाज़मी है ज़िंदगी के लिए बस इतनी सी इल्तजा है तन्हाई से के वो तनहा ही आया करे यु उनकी यादों को साथ लाके हमे रुलाया ना करें

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न जाने किस हुनर को शायरी कहते हो तुम हम तो वो लिखते है जो तुमसे कह नहीं पाते

#Silence #shayri #Pyar  न जाने किस हुनर को 
शायरी कहते हो तुम
हम तो वो लिखते है
जो तुमसे कह नहीं पाते

#shayri #Silence #Pyar न जाने किस हुनर को शायरी कहते हो तुम हम तो वो लिखते है जो तुमसे कह नहीं पाते

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वो सकल पिघली तो हर शय मे ढल गयी अजीब बात हुई है उसे भुलाने में जो मुंतज़िर न मिला वो तो हम है शर्मिंदा की हमने देर लगा दी पलट कर आने में

 वो सकल पिघली तो हर शय मे ढल गयी 
अजीब बात हुई है उसे भुलाने में

जो मुंतज़िर न मिला वो तो हम है शर्मिंदा 
की हमने देर लगा दी पलट कर आने में

वो सकल पिघली तो हर शय मे ढल गयी अजीब बात हुई है उसे भुलाने में जो मुंतज़िर न मिला वो तो हम है शर्मिंदा की हमने देर लगा दी पलट कर आने में

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