Satish saim

Satish saim Lives in Hazaribagh, Jharkhand, India

"कवि and लेखक " मैं कवि हूं, कविता करना मेरी सोक नहीं मजबुरी है पर मैं ! लिखता हूं अपने बीती बाते को अपने अधूरे ख्वाबों को कुछ अनकहे ,अनसुने बातो को अपने सिरहाने रखे जज्बातों को ख्वाबों की गठरी को हिलते - डुलते मंजिल को और न जाने क्या-क्या उधेलता रहता हूं अपनी कविता में ।

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#व्यंग #satishsaim
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ख्वाब तुझे जमाल कहूं हिलाल कहूं या तसव्वर कुछ समझ में नहीं आ रहा... तुझे याद करूं लिखूं या अर्ज करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा... तेरी यादें वापस करूं रखुं या फेंक दूं कुछ समझ में नहीं आ रहा... तेरी रूहानी बातें गुनगुना लूं या गजल बना दूं कुछ समझ में नहीं आ रहा... तेरा प्रेम पत्र चला दूं फेक दूं या हथियार बना लूं कुछ समझ में नहीं आ रहा... तेरा उपहार वापस करू नष्ट करू या संग्रहालय बना दूं कुछ समझ में नहीं आ रहा... मेरी यह बातें कल्पना है ख्वाब या ख्वाहिश है कुछ समझ में नहीं आ रहा...

 ख्वाब 

तुझे जमाल कहूं 
हिलाल कहूं या तसव्वर
कुछ समझ में नहीं आ रहा...

तुझे याद करूं 
लिखूं या अर्ज करूं 
कुछ समझ में नहीं आ रहा...

तेरी यादें वापस करूं 
 रखुं या फेंक दूं
 कुछ समझ में नहीं आ रहा...

तेरी रूहानी बातें 
गुनगुना लूं या गजल बना दूं
कुछ समझ में नहीं आ रहा...

तेरा प्रेम पत्र चला दूं
फेक दूं या हथियार बना लूं 
कुछ समझ में नहीं आ रहा...

तेरा उपहार वापस करू   
नष्ट करू या संग्रहालय बना दूं
कुछ समझ में नहीं आ रहा...

मेरी यह बातें
कल्पना है ख्वाब या ख्वाहिश है
कुछ समझ में नहीं आ रहा...

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