प्यार का नाम देकर प्यार को बिस्तर पर गिराते हो
छिपी हुई हसरतों को, प्यार नाम देकर बताते हो
कुचलते हो, रौंदते हो प्यार को फिर पूरी रात भर
सुबह, तू कौन मैं खामख्वाह कहते नज़र आते हो
ज़ुबाँ को लग जाए, जूठन तो उसे मीठा बताते हो
जिस्मों का दौर है, खुलकर बता दो, क्यूँ छुपाते हो
प्यार कहकर, पहले दिल फिर जिस्म में उतर जाते हो
है दम, तो बोल कर सच क्यूँ नहीं हासिल कर पाते हो
प्यार का नाम देकर प्यार को बिस्तर पर गिराते हो
छिपी हुई हसरतों को, प्यार नाम देकर बताते हो
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