कुछ भी कहो यार ये औरतें बहुत मजबुत होती है ..!
सुबह का कोहरा छंटता भी नही की गिले-से रसोईघर में तल्लीन होती है ..!!
खुन जमा देने वाली ठंड में भी स्वेटर की बांह चढा बरतन धोती है ..!!
हम दुबके रहते है रजाई-कम्बल में वो हमें सुबह की गर्म चाय देती है ..!!
ये औरतें सचमुच बहुत मजबुत होती है ..!!
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