मेरे हमनफस, ऐ जान-ए-तमन्न ये कहना है तुझको
जूस्तजू-ए-आरजू में दिल को मिलता है करार मुझको
तेरे जन्म दिन पर बस यह कहना है मुझको
मन मलंग व दिल बाग बाग है पा के तुझको
तेरी मस्त बाँहों का जो हार मिला है मुझको
लगे है जलती धूप से छाँव मिला हो मुझको
तू ख्याल में आ कर जीवन साथी कहती हो मुझको
अब मौत भी आये तो आये बस तेरे ज़ानों पे मुझको
कोहिनूर-ए-आफताब बन जीवन में आये हो मेरे
मुफ़्लिशि बनी है सौकत जब से मिली हो मुझको
मेरे हमनफस, ऐ जान-ए-तमन्न ये कहना है तुझको
जूस्तजू-ए-आरजू में दिल को मिलता है करार मुझको
तेरे जन्म दिन पर बस यह कहना है मुझको
मन मलंग व दिल बाग बाग है पा के तुझको
तेरी मस्त बाँहों का जो हार मिला है मुझको
लगे है जलती धूप से छाँव मिला हो मुझको
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चिट्ठी लिखने पर देशद्रोही ठहराए जाने के इस दौर में पीएम को चिठ्ठी लेखन का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाना चाहिए।
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