हमारी जिंदगी, यह उम्र, यह तो बस एक पल से दूसरे पल तक की ही है। तो क्यों ना इस एक पल से दूसरे पल के बीच का जो समय है, उस समय को हम गम को भूल कर खुशी से जीने पर ध्यान दें?, क्यों ना रोने के हजारों कारणों को छोड़कर हंसने के एक बहाने पर ध्यान दें? और उस एक बहाने के चलते हम खुद तो हंस ही पड़े, लेकिन यह कोशिश भी करें कि हमारे आसपास के लोगों के जीवन में भी उस एक बहाने से उमंग भर दें, साथ ही हमारे आसपास के लोगों में भी एक गुदगुदी सी मचा दे, और हंसी के ठहाके लगवा दे वह एक बहाना। खुद खुश रह के दूसरे को ख
31 Love
शायद यूं ही गमों को भुलाकर मुस्कुराने को कहते हैं जिंदगी, रोने के कारण तो बहुत मिलेंगे मगर हंसने का एक बहाना हो, तो उस बहाने को कहते हैं जिंदगी ।
हमारी जिंदगी, यह उम्र, यह तो बस एक पल से दूसरे पल तक की ही है। तो क्यों ना इस एक पल से दूसरे पल के बीच का जो समय है, उस समय को हम गम को भूल कर खुशी से जीने पर ध्यान दें?, क्यों ना रोने के हजारों कारणों को छोड़कर हंसने के एक बहाने पर ध्यान दें? और उस एक बहाने के चलते हम खुद तो हंस ही पड़े, लेकिन यह कोशिश भी करें कि हमारे आसपास के लोगों के जीवन में भी उस एक बहाने से उमंग भर दें, साथ ही हमारे आसपास के लोगों में भी एक गुदगुदी सी मचा दे, और हंसी के ठहाके लगवा दे वह एक बहाना। खुद खुश रह के दूसरे को ख
24 Love
पांच रुपए की कुल्हड़ चाय में हम सारे यार बैठकर हंसते थे, खुशी के मामलों में अब भी जनाब जमाने पुराने वह सस्ते थे।
जिंदगी में तुम्हारी मोहब्बत हो, जिंदगी जीने के लिए और क्या चाहिए हमें! तुम्हारी मोहब्बत और तुम्हारा साथ, यह दो चीजें अगर हमारे पास हो तो जिंदगी में किसी और चीज की हमें जरूरत ही क्या ? अगर जिंदगी की हर राह पर चलने के लिए तु साथी हो हमारा तो जिंदगी की यह राह लंबी हो या छोटी, मुश्किल हो या आसान परवाह नहीं। हर राह पर खुशी खुशी चल दे हम अगर तेरा साथ मिल जाए हमें, इसलिए अपनी मोहब्बत को तू उधार दे दे हमें वादा है हमारा एक एक पाई बड़ी शिद्दत के साथ झुकाएंगे तुझे।
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146 Love
वह एक आधे चांद सी है जनाब, ना पूरी है ना अधूरी, खुद ही में मुकम्मल।
आज से करीब 5 वर्ष पहले हमारी मुलाकात हुई थी। वह वही थी जिन्होंने हमें इश्क से रूबरू करवाया था, वह वही थीं जिनके साथ ना जाने कितने सुख-दुख के पल हम ने बांट दिए। पर आज साथ नहीं है वह हमारे, आज साथ छोड़ दिया है उन्होंने हमारा। पर चाहे वह कल हो या आज, अब भी जब कोई हमसे पूछता है "जनाब इश्क किसे कहते हैं?" तो भले ही आज हमारे इश्क की परिभाषा बदल गयी हो पर आज भी जब हम उसके बारे में बताते हैं ना तो यकीन मानो दास्ताँ उनकी ही बताते हैं।
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