Atul singh

Atul singh Lives in Lucknow, Uttar Pradesh, India

engineer shayar

  • Latest
  • Popular
  • Video
 ये तुम्हारी हया का रंग तुम पर कुछ इस कदर भाता है

रंग कोई भी लगे गालों पर तेरे बस गुलाबी चढ़ जाता है

©Atul singh

#Holi

126 View

हूं रावण मैं हे राम तम्हारे तीरों से, क्यों करते हो यूँ संहार मेरा। तेरी सीता तो निर्मल थी, ना हुआ कभी उसे स्पर्श मेरा।। हूँ वो रावण मैं जिसने शिव धारड़, कैलाश भुजा में उठाया था। छ दर्शन चतुर् वेदों का ज्ञाता, मैं जगत में दसकंठी कहलाया था।। था अपराध मेरा बस इतना ही, की तुमको ना पहचान सका। पर जो स्वयम् ब्रम्ह वरदानी था, वो कैसे न तुमको जान सका।। ये माया भी तो तेरी थी, की हर मनुज को समझाना है। की हर नारी में सीता है, ये इस दुनिया को बतलाना है।। ©Atul singh

#कविता #Dussehra  हूं रावण मैं

हे राम तम्हारे तीरों से, 
क्यों करते हो यूँ संहार मेरा।
तेरी सीता तो निर्मल थी, 
ना हुआ कभी उसे स्पर्श मेरा।।
हूँ वो रावण मैं जिसने शिव धारड़, 
कैलाश भुजा में उठाया था।
छ दर्शन चतुर् वेदों का ज्ञाता, 
मैं जगत में दसकंठी कहलाया था।।
था अपराध मेरा बस इतना ही, 
की तुमको ना पहचान सका।
पर जो स्वयम् ब्रम्ह वरदानी था, 
वो कैसे न तुमको जान सका।।
ये माया भी तो तेरी थी, 
की हर मनुज को समझाना है।
की हर नारी में सीता है, 
ये इस दुनिया को बतलाना है।।

©Atul singh

#Dussehra

0 Love

इस तफ्सील से समझ ली हैं इश्क की बारीकियां मैने की इस कदर उलझे हैं अब कि कुछ सुलझ नहीं पाता यूं तो इस शहर में ही बनवाया था मैंने मकान अपना पर जाने क्यों शहर का कोई रास्ता मेरे घर नही जाता मुझ पर पड़ी हर नज़र के माथे पर शिकन आ गई इस बेरुखी की पर जाने क्यों कोई वजह नही बताता यूं ही बचपने में अक्सर हंस देता था मैं जिन्दगी पर अब सयाना इस कदर हो गया हूं की रोया नहीं जाता एक तो बारिश की नमी उस पर तेरी यादों की सिसक जो इस कदर ही जीना है तो फिर मर क्यों नहीं जाता ©Atul singh

#शायरी #Journey  इस तफ्सील से समझ ली हैं इश्क की बारीकियां मैने
की इस कदर उलझे हैं अब कि कुछ सुलझ नहीं पाता 

यूं तो इस शहर में ही बनवाया था मैंने मकान अपना
पर जाने क्यों शहर का कोई रास्ता मेरे घर नही जाता

मुझ पर पड़ी हर नज़र के माथे पर शिकन आ गई
इस बेरुखी की पर जाने क्यों कोई वजह नही बताता

यूं ही बचपने में अक्सर हंस देता था मैं जिन्दगी पर
अब सयाना इस कदर हो गया हूं की रोया नहीं जाता

एक तो बारिश की नमी उस पर तेरी यादों की सिसक
जो इस कदर ही जीना है तो फिर मर क्यों नहीं जाता

©Atul singh

#Journey

8 Love

अर्श से फर्श तक निर्माण का वो विश्वकर्मा है नए विज्ञान का नए सृजन की जिसमे छमता है नव युग का वह एक अभियंता है छितिज को जो धरा से जोड़ कर मन मौज में समंदरों को मोड़ कर कल्पनाओं से जो श्रृंगार करता है नव युग का वह एक अभियंता है युग भी जिसके विश्वास के दर्शक हैं निराशाएं भी जिसकी पथ प्रदर्शक हैं जिसकी रचनाओं से भविष्य बनता है नव युग का वह एक अभियंता है ©Atul singh

#जानकारी #EngineerDay  अर्श से फर्श तक निर्माण का
वो विश्वकर्मा है नए विज्ञान का
नए सृजन की जिसमे छमता है
नव युग का वह एक अभियंता है

छितिज को जो धरा से जोड़ कर
मन मौज में समंदरों को मोड़ कर
कल्पनाओं से जो श्रृंगार करता है
नव युग का वह एक अभियंता है

युग भी जिसके विश्वास के दर्शक हैं
निराशाएं भी जिसकी पथ प्रदर्शक हैं
जिसकी रचनाओं से भविष्य बनता है
नव युग का वह एक अभियंता है

©Atul singh

कुछ अपनी जुल्फ़ों पर भी ऐतराज़ करिए यूं बिखर के इनका चांद ढ़क लेना मुनासिब नहीं ©Atul singh

#लव  कुछ अपनी जुल्फ़ों पर भी ऐतराज़ करिए
यूं बिखर के इनका चांद ढ़क लेना मुनासिब नहीं

©Atul singh

कुछ अपनी जुल्फ़ों पर भी ऐतराज़ करिए यूं बिखर के इनका चांद ढ़क लेना मुनासिब नहीं ©Atul singh

0 Love

जमीदोज़ हो जाएंगे बस इस असर भर से तू देख ले जो ज़माने को एक नज़र भर के ©Atul singh

#लव  जमीदोज़ हो जाएंगे बस इस असर भर से
तू देख ले जो ज़माने को एक नज़र भर के

©Atul singh

जमीदोज़ हो जाएंगे बस इस असर भर से तू देख ले जो ज़माने को एक नज़र भर के ©Atul singh

0 Love

Trending Topic