मेरा गांव मेरा घर❤️
मेघा बरसे घनघोर घन❤️
फूल खिले हैं डाली में❤️
पंछी चहके हरियाली में❤️
बगिया में जब आम लगे हैं❤️
घर को आते सब शाम ढले हैं❤️
बूंद बूंद गिरती बूंदे❤️
मन में फूल खिलाती हैं❤️
पशु पक्षी सब नाचें गाएं❤️
परदेशी भी लौट के अब गांव को आएं❤️
बचपन की हर गलतियां आज याद आती हैं जो बचपन में साथ थे, दूर भले हो गए , मगर दिल में आज वहीं रहते हैं। लाख लोग मिले जमाने में, मगर #खुशियां थी बचपन के उन्हीं सरार्ती लम्हों में। @jeevesh yadav@Arjun Pratap Singh Suman Zaniyan
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सदियां बीत गई,
सपने संजोए हुए
वक़्त आया
तबतक रश्ता छोड़ चुके थे हम
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