White रास नहीं आता, उदास चेहरा तुम्हारा,
मुस्कुराया करो, खिलता है चेहरा तुम्हारा,
आज एक और दिन बिता इंतजार में तुम्हारे,
आज फिर खींच, मुझे ले गया रास्ता तुम्हारा,
महफिलों का शोर मेरे सर चढ़ता, दिल पर नहीं उतरता,
शब्दों से बेहतर है, वह चुप्पी भारा लहजा तुम्हारा,
और हजारों की भीड़ में, निगाहें तुम्हें ढूंढ लेती है,
और तुम कहती हो, अगला भूल चुका है चेहरा तुम्हारा,
और नाराजगी मेरी मानने वाले, नाराज है मुझसे,
जख्मों को लेकर मेरे, सवाल जायज है तुम्हारा...
- विक्रम
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©VIKRAM RAJAK
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