Fareed Ahmad

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हमारी शायरी पढ़कर बस इतना ही बोले वो, कलम छीन लो इनसे लफ्ज़ दिल चीर देते हैं।

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लड़ सको दुनिया से जज़्बों में वो सिद्दत चाहिए इश्क करने के लिए इतनी तो हिम्मत चाहिए कम से कम मैंने छुपा ली देख कर सिगरेट तुम्हें और इस लड़के से तुमको कितनी इज़्ज़त चाहिए Rdf-fs

 लड़ सको दुनिया से जज़्बों में वो सिद्दत चाहिए

इश्क करने के लिए इतनी तो हिम्मत चाहिए

कम से कम मैंने छुपा ली देख कर सिगरेट तुम्हें

और इस लड़के से तुमको कितनी इज़्ज़त चाहिए

Rdf-fs

*काफी पुराने जमाने वाला* *दिल हैं मेरा...!* *इसे जिस्मों की मोहब्बत* *समझ नहीं आती...!!*

 *काफी पुराने जमाने वाला*
*दिल हैं मेरा...!*



*इसे जिस्मों की मोहब्बत*
*समझ नहीं आती...!!*

*काफी पुराने जमाने वाला* *दिल हैं मेरा...!* *इसे जिस्मों की मोहब्बत* *समझ नहीं आती...!!*

4 Love

Success .आसान नहीं है हमसे यूँ शायरी में जीत पाना..!! हम हर एक लफ्ज़ मोहब्बत में हार कर लिखते हैं। Rdf-fs

 Success  .आसान नहीं है हमसे यूँ शायरी में जीत पाना..!!

हम हर एक लफ्ज़ मोहब्बत में हार कर लिखते हैं।


Rdf-fs

*मुझे इसलिए भी लोग कमज़ोर समझते है* *मेरे पास ताक़त नहीं किसी का दिल तोड़ने की.... Rdf-fs

 *मुझे इसलिए भी लोग कमज़ोर समझते है*

*मेरे पास ताक़त नहीं किसी का दिल तोड़ने की....





Rdf-fs

*मुझे इसलिए भी लोग कमज़ोर समझते है* *मेरे पास ताक़त नहीं किसी का दिल तोड़ने की.... Rdf-fs

7 Love

मुद्दतों पहले जो डूबी थी वो पूँजी मिल गयी, जो कभी दरया में फेंकी थी वो नेकी मिल गयी,, ख़ुदकुशी करने पर आमादा थी नाकामी मेरी, फिर मुझे दीवार पर चढ़ती ये चींटी मिल गयी,, मैं इसे इनाम समझूँ या सज़ा का नाम दूँ, उंगलियां कटते ही तोहफे में अंगूठी मिल गयी,, मैं इसी मिट्टी से उठा था बबूला की तरह, और फिर एक दिन मिट्टी में मिट्टी मिल गयी,, फिर किसी ने लष्मी देवी को ठोकर मार दी, आज कूड़ेदान से फिर एक बच्ची मिल गयी मुनव्वर राना✍🏻

 मुद्दतों पहले जो डूबी थी वो पूँजी मिल गयी,
जो कभी दरया में फेंकी थी वो नेकी मिल गयी,,

ख़ुदकुशी करने पर आमादा थी नाकामी मेरी,
फिर मुझे दीवार पर चढ़ती ये चींटी मिल गयी,,

मैं इसे इनाम समझूँ या सज़ा का नाम दूँ,
उंगलियां कटते ही तोहफे में अंगूठी मिल गयी,,

मैं इसी मिट्टी से उठा था बबूला की तरह,
और फिर एक दिन मिट्टी में मिट्टी मिल गयी,,

फिर किसी ने लष्मी देवी को ठोकर मार दी,
आज कूड़ेदान से फिर एक बच्ची मिल गयी

मुनव्वर राना✍🏻

मुद्दतों पहले जो डूबी थी वो पूँजी मिल गयी, जो कभी दरया में फेंकी थी वो नेकी मिल गयी,, ख़ुदकुशी करने पर आमादा थी नाकामी मेरी, फिर मुझे दीवार पर चढ़ती ये चींटी मिल गयी,, मैं इसे इनाम समझूँ या सज़ा का नाम दूँ, उंगलियां कटते ही तोहफे में अंगूठी मिल गयी,, मैं इसी मिट्टी से उठा था बबूला की तरह, और फिर एक दिन मिट्टी में मिट्टी मिल गयी,, फिर किसी ने लष्मी देवी को ठोकर मार दी, आज कूड़ेदान से फिर एक बच्ची मिल गयी मुनव्वर राना✍🏻

5 Love

@Satyaprem @Internet Jockey @Anushka Verma नयनसी परमार @KAKE.KA.RADIO

6 Love

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