खुल कर जीना बस एक इरादा बनकर रह गया,
जिंदगी में एक ऐसा प्यादा बन कर रह गया,,
एक शब गुजारेंगे तेरे शहर ऐ मुंतजिर,
उसका वादा था बस वादा बनकर रह गया,,
उसकी मोहब्बत हमेशा कम रही मेरे लिए,
मेरा प्यार उसके लिए कुछ ज्यादा बनकर रह गया,,
तुम्हारी दुनिया मुकम्मल हुई और तुम चले गए..?
मेरा घर भी देखते जो है,आधा बनकर रह गया,,
दर्द, मोहब्बत, वफा, जिंदगी हे, सबको रंज तुझमें,
तुम्हारा बांदा ताबीज भी, धागा बनकर रह गया,,
झूठ, फरेब, दगा, बेवफाई, कुछ तो सीखता "रामधन सारण",,
कि अकेला रह गया, जो सादा बनकर रह गया,,!!
©Ramdhan jaat sharn
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