*शुभ जन्माष्टमी*
*शीर्षक - मेरी राधा रानी*
मैं पनबुड़वा पर बैठ कर बंसी बजाऊंगा,
तू मेरी धुन
सुन कर चली आना ।
मेरी राधा रानी...
बहुत कशमकश भरी है अपनी यह मीलन कि दास्तान,
कुछ तू बया कर कुछ मैं बया करु।
मेरी राधा रानी...
मैं संगीत हु तेरा तो तू स्वर हो मेरी, जब तुम्हारा चेहरा देखते हैं तो उंगलियां अपने-आप बंसी के उपर पडती है और धुन सिर्फ तुम्हारे तारीफ़ कि ही नीकलती है।
मेरी राधा रानी...
तुम हमारी वजह से लोगों के ताने सुनो यह हमे पसन्द नहीं,
हम यह रिश्ता ही खत्म कर दे पर हमारे रिश्ते को जानेगा कोई नहीं ।
मेरी राधा रानी..
हम दोनो एक ही आत्मा है और कोई अस्तित्व नहीं, कोई भला अपनी आत्मा से कैसे ब्याह रचा सकता है ।
मेरी राधा रानी...
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here