Poet Shivam Singh Sisodiya

Poet Shivam Singh Sisodiya Lives in Gwalior, Madhya Pradesh, India

कवि शिवम् सिंह सिसौदिया 'अश्रु' जन्मतिथि 26 जनबरी 1995

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🇮🇳 Martyr's Week शहीदी सप्ताह (7 फरवरी से 14 फरवरी) 🕯 आइये हम सब देशप्रेमी पिछले वर्ष 14 फरवरी को *पुलवामा* आतंकी हमले में शहीद हुए 44 वीर हुतात्मा शहीदों को समर्पित करते हैं आज से शुरु होने वाला सप्ताह | 💐💐💐 प्रेम का सप्ताह देशप्रेम के नाम

15 Love

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा 2 फिर से पावस का बदरा नयनों में उमड़ते देखा है | विरहातुर उर को फिर से पीड़ा से लड़ते देखा है | सारे तप और दुआ प्रार्थना विफल हुई हम बिछड़े ज्यों, आज भी फिर से नींद को यूँ आँखों से बिछड़ते देखा है || शिवम् सिंह सिसौदिया

 आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा                                   2


फिर से पावस का बदरा नयनों में उमड़ते देखा है |
विरहातुर उर को फिर से पीड़ा से लड़ते देखा है |
सारे तप और दुआ प्रार्थना विफल हुई हम बिछड़े ज्यों,
आज भी फिर से नींद को यूँ आँखों से बिछड़ते देखा है ||

शिवम् सिंह सिसौदिया

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा 2 फिर से पावस का बदरा नयनों में उमड़ते देखा है | विरहातुर उर को फिर से पीड़ा से लड़ते देखा है | सारे तप और दुआ प्रार्थना विफल हुई हम बिछड़े ज्यों, आज भी फिर से नींद को यूँ आँखों से बिछड़ते देखा है || शिवम् सिंह सिसौदिया

12 Love

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा 1 आज भी फिर से मुस्कानों का चमन उजड़ते देखा है | आज उँगलियों को फिर आँसुओं से झगड़ते देखा है | होठों पर पतझर छाया, पलकों में पावस की रितु है, आज भी फिर से नींद को यूँ आँखों से बिछड़ते देखा है || शिवम् सिंह सिसौदिया

 आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा                                 1

आज भी फिर से मुस्कानों का चमन उजड़ते देखा है |
आज उँगलियों को फिर आँसुओं से झगड़ते देखा है |
होठों पर पतझर छाया, पलकों में पावस की रितु है,
आज भी फिर से नींद को यूँ आँखों से बिछड़ते देखा है ||

शिवम् सिंह सिसौदिया

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा 1 आज भी फिर से मुस्कानों का चमन उजड़ते देखा है | आज उँगलियों को फिर आँसुओं से झगड़ते देखा है | होठों पर पतझर छाया, पलकों में पावस की रितु है, आज भी फिर से नींद को यूँ आँखों से बिछड़ते देखा है || शिवम् सिंह सिसौदिया

12 Love

एक तरफ दर्द होता तो होता भला | चैन से तू जो सोता तो होता भला | दर्द से तू भी रोता है उलझन बड़ी, सिर्फ मैं ही जो रोता तो होता भला || - शिवम् सिंह सिसौदिया

 एक तरफ दर्द होता 
तो होता भला |
चैन से तू जो सोता 
तो होता भला |
दर्द से तू भी रोता है 
उलझन बड़ी,
सिर्फ मैं ही जो रोता 
तो होता भला ||
                  - शिवम् सिंह सिसौदिया

तो होता भला

7 Love

गोवर्धनपतिः शान्तो गोवर्धनविहारकः | गोवर्धनो गीतगतिर्गवाक्षो गोवृक्षेक्षणः || (गोपालसहस्रनामस्तोत्रम् 25)

 गोवर्धनपतिः शान्तो गोवर्धनविहारकः |
गोवर्धनो गीतगतिर्गवाक्षो गोवृक्षेक्षणः ||

(गोपालसहस्रनामस्तोत्रम् 25)

गोवर्धनपतिः शान्तो गोवर्धनविहारकः | गोवर्धनो गीतगतिर्गवाक्षो गोवृक्षेक्षणः || (गोपालसहस्रनामस्तोत्रम् 25)

10 Love

श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी । यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।। (गर्गसंहिता)

 श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता

यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी ।
यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।।

(गर्गसंहिता)

श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी । यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।। (गर्गसंहिता)

8 Love

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