Kanchan Priya

Kanchan Priya Lives in Jalandhar, Punjab, India

लिखूँ मैं अपने गीत कभी उनमें लिखूँ जीवन का सार लिखूँ कभी मैं अपनी जीत लिख डालूँ कभी अपनी हार।

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उल्फ़्तों के परिंदे। 💓💓 #PoetryOnline #lovepoetry #nojotoLove #urdupoem #PoetryOnline

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सुबह सुनहरी फिर आएगी #meditationguitar #coronapoetry #waragainstcorona #GoCorona #stayhome #staysafe #Hindi #poetryoncorona #New

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#कविता

वो चिट्ठियाँ (Those Letters)

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#poem

The Eternal Sleep

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ज़िंदगी की शाम दिल को बहलाने का भी है ये अच्छा बहाना सनम तुमसे जब मैं रूठूँ तुम आकर मनाना ज़िन्दगी की शाम लम्हों में ढलती जा रही है वो आये न याद उनकी आती जा रही है। जब रंग ए हया का मुझ पे चढ़ जाए तुम रंग ए वफ़ा का लेकर के आने मोहब्बत की आरज़ू बरसों की पियाजी मेरे गेसुओं तले आज की रात बिताना तलब उनसे मिलने की बढ़ती जा रही है वो आए न याद उनकी आती जा रही है।। ©कंचन प्रिया

#मोहब्बत #ज़िन्दगी #शाम  ज़िंदगी की शाम  
दिल को बहलाने का भी है 
ये अच्छा बहाना 
सनम तुमसे जब मैं रूठूँ
तुम आकर मनाना

ज़िन्दगी की शाम लम्हों में ढलती जा रही है
वो आये न याद उनकी आती जा रही है।

जब रंग ए हया का मुझ पे चढ़ जाए
तुम रंग ए वफ़ा का लेकर के आने
मोहब्बत की आरज़ू बरसों की पियाजी
मेरे गेसुओं तले आज की रात बिताना

तलब उनसे मिलने की बढ़ती जा रही है
वो आए न याद उनकी आती जा रही है।।

©कंचन प्रिया

ज़िन्दगी की शाम #ज़िन्दगी #शाम #मोहब्बत

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चलो ऐसा करते हैं, मोहब्बत इक रोज़ करते हैं। कभी मन्दिर कभी मस्जिद, इबादत रोज़ करते हैं।। उनका कहना है, वो हमसे कोई तालुक़्क़ नहीं रखते मेरी गुफ़्तगू पर किसीसे वो, शिकायत रोज़ करते हैं।। बाहर वाला ज़हर भी दे दे तो हँस के पी ले लेकिन ये बच्चे माँ बाप से घर में, बगावत रोज़ करते हैं।। हो तुम नासमझ या वाकई तुम्हे दीखाई नहीं देता हमारे अल्लाह हम सब पर, इनायत रोज़ करते हैं।। बचा कर रखा है कुछ इश्क़, करेंगे तुम जब रूठ जाओगे इसी कारण इश्क़ में अपने, किफायत रोज़ करते हैं।। ©कंचन प्रिया

#poem  चलो ऐसा करते हैं, मोहब्बत इक रोज़ करते हैं।
कभी मन्दिर कभी मस्जिद, इबादत रोज़ करते हैं।।

उनका कहना है, वो हमसे कोई तालुक़्क़ नहीं रखते
मेरी गुफ़्तगू पर किसीसे वो, शिकायत रोज़ करते हैं।।

बाहर वाला ज़हर भी दे दे तो हँस के पी ले लेकिन
ये बच्चे माँ बाप से घर में, बगावत रोज़ करते हैं।।

हो तुम नासमझ या वाकई तुम्हे दीखाई नहीं देता
हमारे अल्लाह हम सब पर, इनायत रोज़ करते हैं।।

बचा कर रखा है कुछ इश्क़, करेंगे तुम जब रूठ जाओगे
इसी कारण इश्क़ में अपने, किफायत रोज़ करते हैं।।

©कंचन प्रिया

चलो ऐसा करते हैं, मोहब्बत इक रोज़ करते हैं। कभी मन्दिर कभी मस्जिद, इबादत रोज़ करते हैं।। उनका कहना है, वो हमसे कोई तालुक़्क़ नहीं रखते मेरी गुफ़्तगू पर किसीसे वो, शिकायत रोज़ करते हैं।। बाहर वाला ज़हर भी दे दे तो हँस के पी ले लेकिन ये बच्चे माँ बाप से घर में, बगावत रोज़ करते हैं।। हो तुम नासमझ या वाकई तुम्हे दीखाई नहीं देता हमारे अल्लाह हम सब पर, इनायत रोज़ करते हैं।। बचा कर रखा है कुछ इश्क़, करेंगे तुम जब रूठ जाओगे इसी कारण इश्क़ में अपने, किफायत रोज़ करते हैं।। ©कंचन प्रिया

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