SHUBHRA

SHUBHRA Lives in Patna, Bihar, India

ek sachaa aashiq...Muhhabat...Lol

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पत्थर हो? मिट्टी बनो, जड़ें मिट्टी से ही फूटेंगी फूल मिट्टी में ही खिल सकेंगे, आसमान पर चोट नहीं चूम सकोगे इस नीले रंग को और रक्स करते फिरोगे गिरोगे तो टूटोगे नहीं धरती पर इश्क़ खिला सकोगे!

 पत्थर हो?
मिट्टी बनो, 
जड़ें मिट्टी से ही फूटेंगी फूल मिट्टी में ही खिल सकेंगे, 

आसमान पर चोट नहीं
चूम सकोगे इस नीले रंग को
और रक्स करते फिरोगे
गिरोगे तो टूटोगे नहीं
धरती पर इश्क़ खिला सकोगे!

पत्थर हो? मिट्टी बनो, जड़ें मिट्टी से ही फूटेंगी फूल मिट्टी में ही खिल सकेंगे, आसमान पर चोट नहीं चूम सकोगे इस नीले रंग को और रक्स करते फिरोगे गिरोगे तो टूटोगे नहीं धरती पर इश्क़ खिला सकोगे!

5 Love

It's been years now, And I wouldn't lie and this is the truth. That I haven't seen A single dream- Which isn't about you.

 It's been years now,
And 
I wouldn't lie and 
this is the truth. 

That I haven't seen 
A single dream-
Which isn't about you.

It's been years now, And I wouldn't lie and this is the truth. That I haven't seen A single dream- Which isn't about you.

4 Love

जब-तक ये समाज लोगों को अलविदा कहने को मजबूर करता रहेगा- जब तक एक अलविदा की कसक भी बाकी रहेगी- मैं इस समाज को सभ्य और आधुनिक मानने से मना करता रहूंगा। मजबूर-अलविदाओं से बड़ा अपराध क्या ही होगा- ऐसा समाज सभ्य न होगा।।

 जब-तक ये समाज 
लोगों को अलविदा कहने को
मजबूर करता रहेगा-

जब तक एक अलविदा की 
कसक भी बाकी रहेगी-

मैं इस समाज को सभ्य और आधुनिक 
मानने से मना करता रहूंगा। 

मजबूर-अलविदाओं से बड़ा अपराध 
क्या ही होगा-
ऐसा समाज सभ्य न होगा।।

जब-तक ये समाज लोगों को अलविदा कहने को मजबूर करता रहेगा- जब तक एक अलविदा की कसक भी बाकी रहेगी- मैं इस समाज को सभ्य और आधुनिक मानने से मना करता रहूंगा। मजबूर-अलविदाओं से बड़ा अपराध क्या ही होगा- ऐसा समाज सभ्य न होगा।।

5 Love

एक कविता जो जुबानी याद हुई वो भी बिन पढ़े-सर पर चढ़ी। एक कविता जो थी उसमें बसी, वो कविता जो मुझमें वो छोड़ गयी।।

 एक कविता जो जुबानी याद हुई
वो भी बिन पढ़े-सर पर चढ़ी। 

एक कविता जो थी उसमें बसी,
वो कविता जो मुझमें वो छोड़ गयी।।

एक कविता जो जुबानी याद हुई वो भी बिन पढ़े-सर पर चढ़ी। एक कविता जो थी उसमें बसी, वो कविता जो मुझमें वो छोड़ गयी।।

9 Love

शहर की बारिश भी शायद वही इत्र लगाती है- जो तुम पिछले बार लगा आये थे।।

 शहर की बारिश भी शायद 
वही इत्र लगाती है-
जो तुम पिछले बार लगा आये थे।।

शहर की बारिश भी शायद वही इत्र लगाती है- जो तुम पिछले बार लगा आये थे।।

5 Love

तुम्हारी यादें शहद जैसी जाँ घुलती हैं मेरे बदन में धुआँ बनके। #पहला_कश

#पहला_कश  तुम्हारी यादें शहद जैसी जाँ
घुलती हैं मेरे बदन में धुआँ बनके।
#पहला_कश

तुम्हारी यादें शहद जैसी जाँ घुलती हैं मेरे बदन में धुआँ बनके। #पहला_कश

4 Love

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