यूँ तो काम कई अनचाहे , दौरान इश्क़ के करने पड़ते है
जैसे उसके शहर पहुचने को कई अपने शहर छोड़ने पडते है
वो पूछती है नाकाम इश्क़ में क्या होता है ??
तमाम रातों में नींद नही आती ,आँखों के नीचे गड्ढे पड़ते है
उस एक चेहरे को भूलना क्या इतना मुश्किल होता है ??
एक रूह की तलाश मे ना जाने कितने जिस्म तलाशने पड़ते है
हर पत्थर में खुदा किसको मिलता है भला तुम ही बताओ
शिल्पकार को न जाने कितने अनगिनत पत्थर तराशने पड़ते है
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