कल की रात पर एतबार ना था
दिमाग ने कहा तुझे तो प्यार न था!
मगर दिल अपनी पर अड गया
सारा का सारा माजरा बिगड गया
उसे खत लिखने को फिर अँगुलियाँ तिलमिलाई
दिल से बस प्यार की आवाज़ आई
जैसे तैसे सुबह का इंतज़ार किया
फट से खत लिखकर उसे भेज दिया
अब इंतज़ार उसके जवाब का है
कहीं मेरा ये प्यार सवाल सा है
कहीं उसने अनदेखा कर दिया तो!
कहीं जवाब में कोरा कागज़ भेज दिया तो!
अब दिल की सुनकर लिख तो दिया
मगर कहीं उसने जवाब ही ना दिया तो!
पहले अँगुलियाँ, अब दिल तिलमिला रहा है
बस उसके जवाब का इंतज़ार कर रहा है
थोड़ा सा इंतजार और
फिर तू पूरी तरह से किसी और का हो जाएगा
शायद मेरी याद भी ना आए
जब तू किसी और में समाएगा
थोड़ा इंतजार और
फिर तुझ पर इतना भी हक ना रह जाएगा
मैं रुठुँगी मगर मनाने तू ना आएगा
बस थोड़ा सा इंतजार और
फिर तू किसी और का हो जाएगा
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