"मर्द"
सारी दुनिया से लड़ लेते है
पर अपनों के आगे झुक जाते है
बाहर की बातों को छेल लेते है
और घर की खुशियों में जुट जाते है ।
जिम्मेदारियां बहुत रहती है, फिर भी शांत रहते है
परेशान भी हो तो, अपने आप को समझा लेते है
बहुत सख्त दिखते है, पर पत्थर दिल नहीं है
आँखों में आंसू तो होते हैं, पर बहते नहीं है।
हर रिश्ते को दिल से निभाते है
दर्द में भी मुस्कुराते है
सबको खूब हँसाते है
पर अकेले में चुप हो जाते है ।
परवाह, सम्मान, संस्कार और प्यार से
मिलकर बनता है एक अच्छा इंसान
मर्द से पहले एक अच्छा इंसान बनना
मर्दानगी नहीं, अपने अंदर इंसानियत रखना ।
✍️✍️सोना
Vinita Sharma
©Vinita Sharma
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