सोने जाता हूँ जब भी मैं,
वो प्रेमिका की गोद बन जाता है,
साथ न हो किसी का भी,
कस कर सीने से लग जाता है,
दोनों पैरों को मोड़े जब भी बैठू कही भी,
छोटे बच्चे जैसे वो गोद मे आ जाता है,
भाई-बहनों से लड़ाई हो जाये अगर,
हमारा एक अस्त्र बन जाता है,
जब भी अकेला रोता हूँ मैं,
मेरा तकिया मेरा दोस्त बन जाता है।।
ये सोशल मीडिया ने किस-किस
को क्या नही बना दिया,
इसने तो सबकी सोचो
में तूफान मचा दिया,
कुछ आलू दिये थे उसने
एक जरूरतमंद को,
सोशल मीडिया ने जरूरत मंद
को गरीब और उसे दानवीर बना दिया।।
Alone कुचल कर जा रहे देखो तो मेरे दिल को,
इस तरह जैसे कोई फालतू का ढेर हो,
कैसे कर सकते है वो ऐसा मेरे साथ बोलो,
बिना देखे चले गये जैसे हो रहा उन्हें बहुत देर हो।।
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