Satya Prakash Upadhyay

Satya Prakash Upadhyay

जिन्होंने मेरे पोस्ट्स को प्यार दिया है उन सब को धन्यवाद. एक सलाह:- अपने आराध्य को हमेशा याद करते रहिए, क्या पता कौन सी साँस आख़िरी हो . . .

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हे शिव शम्भू पिनाकी महेश्वर, वामदेव विरूपाक्ष शशिशेखर। हे कपर्दी नीललोहित शंकर, भजामि नमामि शिपिविष्ट जटाधर॥ हे शूलपाणी खटवांगी गंगाधर, विष्णुवल्लभ भक्तवत्सल अनीश्वर। हे अंबिकानाथ श्रीकण्ठ गिरिश्वर, कुरु कृपा हे पशुपतिनाथ विश्वेश्वर॥ Satyaprabha 💕

#कविता #Shiva  हे शिव शम्भू पिनाकी महेश्वर, 
वामदेव विरूपाक्ष शशिशेखर।
हे कपर्दी नीललोहित शंकर, 
भजामि नमामि शिपिविष्ट जटाधर॥

हे शूलपाणी खटवांगी गंगाधर, 
विष्णुवल्लभ भक्तवत्सल अनीश्वर।
हे अंबिकानाथ श्रीकण्ठ गिरिश्वर, 
कुरु कृपा हे पशुपतिनाथ विश्वेश्वर॥







Satyaprabha 💕

#Shiva

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निश्छल हृदय के साथ प्रतिपल विधाता है, बाधाओं से पहले राह मे सब-कुछ मिल जाता है... Satyaprabha 💕

 निश्छल
 हृदय के साथ 
 प्रतिपल  
विधाता है,
बाधाओं से पहले 
राह मे 
सब-कुछ
 मिल जाता है...

Satyaprabha 💕

निश्छल हृदय के साथ प्रतिपल विधाता है, बाधाओं से पहले राह मे सब-कुछ मिल जाता है... Satyaprabha 💕

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सफाई ,स्वास्थ्य और सुरक्षा कर्मचारियों को समर्पित सफाई ,सेवा व सुरक्षा ,तीनो तीनो में हैं मीले हुए। वर्दी है सबकी अलग ,पर भाव एक हैं लिए हुए॥ नाम नही, पहचान नही ,कोई निज स्वार्थ का स्वांग नहीं। हो अस्पृश्यता उस अदृश्य से, और कोई दूजी मांग नहीं॥ कोई तो कारण रहा होगा, जो अर्थयुग में संसार बंद पड़ा। ये एक नही दो चार नही ,समस्त नर के आगे यमराज खड़ा॥ हर्षित था जब भारत अपना ,एकजुटता और धैर्य साहस से उभरता रहा। विस्मित, व्यथित हुआ देश,जब उन पर थूका,काटा, पत्थर बरसता रहा॥ जो स्वयं को नष्ट करने को उतारू,पर देश कैसे भी पिछड़ जाए। लानत देता हूँ सोच को ऐसे,जो जन्मभूमि को कलंकित कर जाए॥ satyaprabha💕

#कविता #गमछा  सफाई ,स्वास्थ्य और सुरक्षा कर्मचारियों को समर्पित

सफाई ,सेवा व सुरक्षा ,तीनो तीनो में हैं मीले हुए।
वर्दी है सबकी अलग ,पर भाव एक हैं लिए हुए॥

नाम नही, पहचान नही ,कोई निज स्वार्थ का स्वांग नहीं।
हो अस्पृश्यता उस अदृश्य से, और कोई दूजी मांग नहीं॥

कोई तो कारण रहा होगा, जो अर्थयुग में संसार बंद पड़ा।
ये एक नही दो चार नही ,समस्त नर के आगे यमराज खड़ा॥

हर्षित था जब भारत अपना ,एकजुटता और धैर्य साहस से उभरता रहा।
विस्मित, व्यथित हुआ देश,जब उन पर थूका,काटा, पत्थर बरसता रहा॥

जो स्वयं को नष्ट करने को उतारू,पर देश कैसे भी पिछड़ जाए।
लानत देता हूँ सोच को ऐसे,जो जन्मभूमि को कलंकित कर जाए॥



satyaprabha💕
#कविता #krishna_flute  

🌷🙏🌹जय श्री सीताराम🌹🙏🌷












satyprabha💕

#krishna_flute

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#कॉमेडी  😉गाना बिगाड़ो चैलेंज😎
👻accepted 🤓

Sudha Tripathi indira @V.k.Viraz Pratibha Tiwari(smile)🙂 कवि राहुल पाल

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#WorldTheatreDay रचित है सो होगा क्यों खड़े उदास कुछ ग्रंथ बुदबुदाते । आज वो भी हैं पास जो तब घावों पर नमक रगड़ जाते ॥ तभी कोने में देखा उम्मीद की लौ जगमगा रही थी। मेरे हृदय को अनायास अपनी ओर खिंचे जा रही थी॥ था कर्मों का परिणाम या भाग्य प्रस्फुटित हुआ आ रहा । डाला जो तेल विश्वास का मेरा चेहरा दमकता जा रहा ॥ समय का मरहम जो लगा सब दुविधाएं व्यवस्थित हो चलीं। बुढ़ापा भी आनंदित हो चला जैसा कर्म रहा बस वही फलीं॥ दिखाती ,सुनाती,समझाती जीवन शिक्षित करते जा रही। खुश होता सोच प्रतिपल हरि मिलन की बेला जो आ रही ॥ काल की उंगलियां व स्वासों की डोर कमजोर पड़ रही। संसार के रंगमंच से एक और कठपुतली अब विदा हो रही॥ satyaprabha💕

#World_Theatre_Day #कविता #WorldTheatreDay  #WorldTheatreDay 












रचित है सो होगा क्यों खड़े उदास कुछ ग्रंथ बुदबुदाते ।
आज वो भी हैं पास जो तब घावों पर नमक रगड़ जाते ॥

तभी कोने में देखा उम्मीद की लौ जगमगा रही थी।
मेरे हृदय को अनायास अपनी ओर खिंचे जा रही थी॥

था कर्मों का परिणाम या भाग्य प्रस्फुटित हुआ आ रहा ।
डाला जो तेल विश्वास का मेरा चेहरा दमकता जा रहा ॥

समय का मरहम जो लगा सब दुविधाएं व्यवस्थित हो चलीं।
बुढ़ापा भी आनंदित हो चला जैसा कर्म रहा बस वही फलीं॥

दिखाती ,सुनाती,समझाती जीवन शिक्षित करते जा रही।
खुश होता सोच प्रतिपल हरि मिलन की बेला जो आ रही ॥

काल की उंगलियां व स्वासों की डोर कमजोर पड़ रही।
संसार के रंगमंच से एक और कठपुतली अब विदा हो रही॥

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