White दास्तान ए मोहब्बत, सुना कर बैठा हूं
बहुत ज़ख्म दिल पर, खा कर बैठा हूं
ये आंखें उसी को देखकर, उठेगी मेरी
मैं अभी तो पलके, झुका कर बैठा हूं
भूलूंगा कैसे,भूलना ही नहीं है मुझेको
आज भी उससे दिल,लगा कर बैठा हूं
नया ख़त नहीं आएगा, ये जानते हुए
मैं उसके पुराने ख़त,जला कर बैठा हूं
किसी से इश्क़ भी नहीं,कर सकता मैं
उस पर सब अपना, लुटा कर बैठा हूं
जहां पर बैठता था कभी, तेरे साथ मैं
वहीं पे अकेले हिम्मत,जुटा कर बैठा हूं
इनकी दुआ असर कर जाए, सोच कर
अपने पिंजरे से परिंदे,उड़ा कर बैठा हूं
ये जाहिल है,किसी पर भी आ जाता है
आज दिल को जूते से,दबा कर बैठा हूं
महसूस करोगे, तो रोना आएगा तुम्हें
गजल नहीं हकीकत सुना कर बैठा हूं
©UNCLE彡RAVAN
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