तू जुड़ा-ए-इश्क है या कोई फरेब, जिंदगी में
नहीं आता ख़्वाबों से नहीं जाता। तू हकीकत-ए-इश्क है
या कोई फरेब, जिंदगी में आती नहीं ख्वाबों से जाति नहीं।
टेरर ज़िक्र आप फिक्र आप स्पष्ट करते हैं, तू
स्वयं तो हर जगह क्यों है।
तेरा जिक्र तेरी फिक्र तेरा एहसास
तेरा ख्याल, तू खुदा तो नहीं फिर हर जगह क्यों है ।
रोज वो ख़्वाब में आते हैं गले
मिलने को, मैं जो सोता हूँ तो जागती है किस्मत मेरी |
रोज वो ख्वाब में आते हैं गले मिलने को,
सोता हूं तो जग उठती है किस्मत मेरी
©Amit Panika
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here