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White त्रेता , द्वापर की बात अलग थी अब ये कलयुग की बारी है यहां अपने ही अजनबी हैं ये कैसी लाचारी है काम पड़े तो खून के रिश्ते ही सबसे पहले दूर हुए जिसको कहते हरदम अपना वो इतने मजबूर हुए खुशी में शामिल सब होते बस गम में कोई साथ नहीं फिर कैसे अपने हैं ये क्या अपनो में होती बात यही दो आंसू तो गैरों के भी पराए के दुख में बह जाते हैं ये अपने कैसे हैं जो केवल शोक जताने आते हैं !!!! ©Anushka Tripathi
Anushka Tripathi
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शांति बहुत जरूरी है जीवन को सही चलाने में कौतूहल से डगमग होते भटके को राह दिखाने में अशांत व्यक्ति के मन के अंदर असमंजस रहता हर दम सही गलत में भेद करे कब उसके मन में चलता द्वंद शांत रहे जब अंतर्मन तब मंजिल के हो दर्शन अशांत व्यक्ति कहीं भी हो वो टिक ना पाए एक भी क्षण !!!!! ©Anushka Tripathi
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रोजगार नहीं इस देश में है केवल भ्रष्टाचार बेरोजगार युवा भटक रहा क्या ?? ये है गारंटी की सरकार फॉर्म अगर गलती से आ भी जाए तो पेपर का कन्फर्म नही हो जाए अगर एग्जाम तो पेपर लीक का होना तय सही इन सबमें पिसता है बस आम आदमी बेरोजगार इस देश में कोई बचा नहीं जिससे लगा सके वो आस सरकार की इस गारंटी से अब तंग हुए है हम अरे रोजगार हमारा हक है नहीं भीख मांगते हम !!!! ©Anushka Tripathi
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heart ये सोच कर चले थे हम एक नई राह पर बस्ते के बोझ से छुटकारा मिले बस यही चाह पर जिंदगी आगे हसीन होगी आने वाले सालों में अब नहीं लगना पड़ेगा यूं स्कूल की प्रार्थना भरी कतारों में नए दोस्त नई मंजिल मिलने का सफर सुहाना सा होगा आगे का डगर लेकिन गलतफहमियों के पिटारे हमारे सारे धरे रह गए अहसास हुआ है अब शायद हम बहुत कुछ जिंदगी में खो के चले गए जिंदगी ने मिलवाया नए लोगों से बेशक हमें लेकिन हम उन्हीं पुराने दोस्तों में अपनी खुशियां दूंढते चले गए !!!! ©Anushka Tripathi
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