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New कविता दाद कशी द्यावी Status, Photo, Video

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#कविता  White कैसी काशी कैसी  मथुरा 
कैसा वृंदावन 

जगत के ईश्वर क़ो तो कंण कंण 
में व्याप्त  होकर पड़ता हैं 

बूँदबून्द   कर पूरा बादल बन कर 
बरसता हैं 

खून पसीने की बूंदो से.तो जीवन 
सर्जित करना पड़ता हैं

©Arora PR

कैसी कशी कैसी मथुरा.....i

90 View

#nojoto❤ #fishthali #Trending #Shorts

कशी वाटली फिश थाळी? #Shorts #fishthali #fish #Trending #nojoto❤

126 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#कविता

कविता

432 View

#कविता

14247 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

198 View

#कविता  White कैसी काशी कैसी  मथुरा 
कैसा वृंदावन 

जगत के ईश्वर क़ो तो कंण कंण 
में व्याप्त  होकर पड़ता हैं 

बूँदबून्द   कर पूरा बादल बन कर 
बरसता हैं 

खून पसीने की बूंदो से.तो जीवन 
सर्जित करना पड़ता हैं

©Arora PR

कैसी कशी कैसी मथुरा.....i

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#nojoto❤ #fishthali #Trending #Shorts

कशी वाटली फिश थाळी? #Shorts #fishthali #fish #Trending #nojoto❤

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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#कविता

कविता

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#कविता

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 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

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