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New नज़रे करम Status, Photo, Video

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 मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख
सूरज हूँ मेरा रंग मगर दिन-ढले भी देख

काग़ज़ की कतरनों को भी कहते हैं लोग फूल
रंगों का ए'तिबार ही क्या सूँघ के भी देख

हर चंद राख हो के बिखरना है राह में
जलते हुए परों से उड़ा हूँ मुझे भी देख

दुश्मन है रात फिर भी है दिन से मिली हुई
सुब्हों के दरमियान हैं जो फ़ासले भी देख

'आलम में जिस की धूम थी उस शाहकार पर
दीमक ने जो लिखे कभी वो तब्सिरे भी देख

तू ने कहा न था कि मैं कश्ती पे बोझ हूँ
आँखों को अब न ढाँप मुझे डूबते भी देख

उस की शिकस्त हो न कहीं तेरी भी शिकस्त
ये आइना जो टूट गया है इसे भी देख

तू ही बरहना-पा नहीं इस जलती रेत पर
तलवों में जो हवा के हैं वो आबले भी देख

बिछती थीं जिस की राह में फूलों की चादरें
अब उस की ख़ाक घास के पैरों-तले भी देख

क्या शाख़-ए-बा-समर है जो तकता है फ़र्श को
नज़रें उठा के नक्श कभी सामने भी देख

©Jashvant

नज़रे उठा के देख ज़हर @Dil Ki Talash @Rajni Geet Sangeet @Neema

225 View

#वीडियो

करम का लेख मिटे ना re भाई...

1,305 View

#हक़ीक़त #मोहब्बत #मंज़िल #कविता #आंसू #क़दम  हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं ।
मुहब्बत को बस एक भरम जानते हैं ।

मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ ,
थकान मेरी , मेरे क़दम जानते हैं ।

हमें भूल जाने की आदत है लेकिन,
तुम्हे , हम ,  तुम्हारी क़सम जानते हैं ।

ये छुपना कहाँ और ये  बहना कहाँ है,
ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं ।

आशु छलकती है क्यों आँख से  हमको पता है ,
कहाँ सब लोग यु बिछड़ने का ग़म जानते हैं ।

दिया तो है मजबूर कैसे बताये
उजालों की तकलीफ तो हम  जानते हैं

है जो भी कुछ हमें इस जहाँ में
हम उसको खुदा का करम जानते हैं।

©Shivkumar

#relaxation #हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं । #मोहब्बत को बस एक भरम जानते हैं । मैं क्या इसके बारे में #मंज़िल से पूछूँ , #थकान

144 View

#sitarmusic

#sitarmusic कतरे-कतरे पर खुदा की निगाहे करम है ना तुम पर ज्यादा है ना हम पर कम है

99 View

हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं। मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं। मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ, थकन मेरी मेरे क़दम जानते हैं। हमें भूल जाने की आदत है लेकिन, तुम्हे हम तुम्हारी क़सम जानते हैं। है छुपना कहाँ और बहना कहाँ है, ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं। छलकती है क्यों आँख हमको पता है, कहाँ सब बिछड़ने का ग़म जानते हैं दिया तो है मजबूर कैसे बताये उजालों की तकलीफ तम जानते हैं है जो कुछ मयस्सर हमें इस जहाँ में हम उसको खुदा का करम जानते हैं। ©BROKENBOY

#hugday  हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं।
मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं।

मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ,
थकन मेरी मेरे क़दम जानते हैं।

हमें भूल जाने की आदत है लेकिन,
तुम्हे हम तुम्हारी क़सम जानते हैं।

है छुपना कहाँ और बहना कहाँ है,
ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं।

छलकती है क्यों आँख हमको पता है,
कहाँ सब बिछड़ने का ग़म जानते हैं

दिया तो है मजबूर कैसे बताये
उजालों की तकलीफ तम जानते हैं

है जो कुछ मयस्सर हमें इस जहाँ में
हम उसको खुदा का करम जानते हैं।

©BROKENBOY

#hugday हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं। मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं। मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ, थकन मेरी मेरे क़दम जानते

14 Love

#कविता  Red sands and spectacular sandstone rock formations तलाश है उन निगाहों की जो मेरी बुराईयां खत्म कर दें,
जब भी देखुँ उन्हें तो उन में हमेशा मेरा हक दिखे
जो बातें भी बस देखते ही बयां कर दें की कितने भी इंतजार के बाद वो देखे‌ तो भी‌ वो सफर‌ लगे

©SAHIL KUMAR

कहां हैं वो नज़रे

162 View

 मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख
सूरज हूँ मेरा रंग मगर दिन-ढले भी देख

काग़ज़ की कतरनों को भी कहते हैं लोग फूल
रंगों का ए'तिबार ही क्या सूँघ के भी देख

हर चंद राख हो के बिखरना है राह में
जलते हुए परों से उड़ा हूँ मुझे भी देख

दुश्मन है रात फिर भी है दिन से मिली हुई
सुब्हों के दरमियान हैं जो फ़ासले भी देख

'आलम में जिस की धूम थी उस शाहकार पर
दीमक ने जो लिखे कभी वो तब्सिरे भी देख

तू ने कहा न था कि मैं कश्ती पे बोझ हूँ
आँखों को अब न ढाँप मुझे डूबते भी देख

उस की शिकस्त हो न कहीं तेरी भी शिकस्त
ये आइना जो टूट गया है इसे भी देख

तू ही बरहना-पा नहीं इस जलती रेत पर
तलवों में जो हवा के हैं वो आबले भी देख

बिछती थीं जिस की राह में फूलों की चादरें
अब उस की ख़ाक घास के पैरों-तले भी देख

क्या शाख़-ए-बा-समर है जो तकता है फ़र्श को
नज़रें उठा के नक्श कभी सामने भी देख

©Jashvant

नज़रे उठा के देख ज़हर @Dil Ki Talash @Rajni Geet Sangeet @Neema

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#वीडियो

करम का लेख मिटे ना re भाई...

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#हक़ीक़त #मोहब्बत #मंज़िल #कविता #आंसू #क़दम  हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं ।
मुहब्बत को बस एक भरम जानते हैं ।

मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ ,
थकान मेरी , मेरे क़दम जानते हैं ।

हमें भूल जाने की आदत है लेकिन,
तुम्हे , हम ,  तुम्हारी क़सम जानते हैं ।

ये छुपना कहाँ और ये  बहना कहाँ है,
ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं ।

आशु छलकती है क्यों आँख से  हमको पता है ,
कहाँ सब लोग यु बिछड़ने का ग़म जानते हैं ।

दिया तो है मजबूर कैसे बताये
उजालों की तकलीफ तो हम  जानते हैं

है जो भी कुछ हमें इस जहाँ में
हम उसको खुदा का करम जानते हैं।

©Shivkumar

#relaxation #हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं । #मोहब्बत को बस एक भरम जानते हैं । मैं क्या इसके बारे में #मंज़िल से पूछूँ , #थकान

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#sitarmusic

#sitarmusic कतरे-कतरे पर खुदा की निगाहे करम है ना तुम पर ज्यादा है ना हम पर कम है

99 View

हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं। मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं। मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ, थकन मेरी मेरे क़दम जानते हैं। हमें भूल जाने की आदत है लेकिन, तुम्हे हम तुम्हारी क़सम जानते हैं। है छुपना कहाँ और बहना कहाँ है, ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं। छलकती है क्यों आँख हमको पता है, कहाँ सब बिछड़ने का ग़म जानते हैं दिया तो है मजबूर कैसे बताये उजालों की तकलीफ तम जानते हैं है जो कुछ मयस्सर हमें इस जहाँ में हम उसको खुदा का करम जानते हैं। ©BROKENBOY

#hugday  हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं।
मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं।

मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ,
थकन मेरी मेरे क़दम जानते हैं।

हमें भूल जाने की आदत है लेकिन,
तुम्हे हम तुम्हारी क़सम जानते हैं।

है छुपना कहाँ और बहना कहाँ है,
ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं।

छलकती है क्यों आँख हमको पता है,
कहाँ सब बिछड़ने का ग़म जानते हैं

दिया तो है मजबूर कैसे बताये
उजालों की तकलीफ तम जानते हैं

है जो कुछ मयस्सर हमें इस जहाँ में
हम उसको खुदा का करम जानते हैं।

©BROKENBOY

#hugday हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं। मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं। मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ, थकन मेरी मेरे क़दम जानते

14 Love

#कविता  Red sands and spectacular sandstone rock formations तलाश है उन निगाहों की जो मेरी बुराईयां खत्म कर दें,
जब भी देखुँ उन्हें तो उन में हमेशा मेरा हक दिखे
जो बातें भी बस देखते ही बयां कर दें की कितने भी इंतजार के बाद वो देखे‌ तो भी‌ वो सफर‌ लगे

©SAHIL KUMAR

कहां हैं वो नज़रे

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