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#चुनाव

सपा की चुनावी जनसभा में महंगाई व बेरोजगारी का बी जे पी पर आरोप

126 View

#चुनाव

अखिलेश बोले भाजपा के समय में बढ़ी महंगाई तथा बढ़ी बेरोजगारी

126 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#kuldeepkumaraue #shreeram #Quotes #Money #poor #Roti  Shree Ram यहां, दो वक्त का खाना, खाना मुश्किल हो जाता है
लोग न जाने कैसे कह देते हैं महंगाई कहां है 
अगर आपके लिए महंगाई नहीं है, तो बोलिए मत 
 आप सबके और महंगाई चक्कर में
 हम गरीबों का जीना मुश्किल हो जाता है

©Kuldeep KumarAUE

#shreeram यहां, दो वक्त का खाना, खाना मुश्किल हो जाता है लोग न जाने कैसे कह देते हैं महंगाई कहां है अगर आपके लिए महंगाई नहीं है, तो बोलिए म

108 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

#चुनाव

सपा की चुनावी जनसभा में महंगाई व बेरोजगारी का बी जे पी पर आरोप

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#चुनाव

अखिलेश बोले भाजपा के समय में बढ़ी महंगाई तथा बढ़ी बेरोजगारी

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

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#kuldeepkumaraue #shreeram #Quotes #Money #poor #Roti  Shree Ram यहां, दो वक्त का खाना, खाना मुश्किल हो जाता है
लोग न जाने कैसे कह देते हैं महंगाई कहां है 
अगर आपके लिए महंगाई नहीं है, तो बोलिए मत 
 आप सबके और महंगाई चक्कर में
 हम गरीबों का जीना मुश्किल हो जाता है

©Kuldeep KumarAUE

#shreeram यहां, दो वक्त का खाना, खाना मुश्किल हो जाता है लोग न जाने कैसे कह देते हैं महंगाई कहां है अगर आपके लिए महंगाई नहीं है, तो बोलिए म

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#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

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