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New पोएट्री ऑफ़ महादेवी वर्मा Status, Photo, Video

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#पोएट्री #sad_shayari  White हम वो कष्टी है जिस्का कोई किनारा ना hua 
हम सबके hue, मगर कोई हमारा ना hua..

©GOAN PRASHAL
#कविताएं #पोएट्री #aaina  ।।।।।।।कलम ए विद्यार्थी।।।।।।।
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

आज सुबह सबेरे चमचमाती धूप में नीले अम्बर को
 निहारती जैसे किसी हिरण रूपी रौशनी को देखा!
सुनसान बंजर खेतों के बीच खड़ी चारों तरफ फलों से लदे 
लहराती गेहूं चने के झूमते पौधों और टहनी को देखा !!

लूक छिप लूक छिप झगड़ा मेल कभी फुटबॉल क्रिकेट का सेल
भाई बहन पड़ोसी भेल  मानव और जानवर में फिर कैसा बेमेल ।
छुक छुक मंद गति से कभी तेज़ रफ़्तार से चल रही थीं अपनी रेल!
सफ़र था विद्यालय तक का  पर देख रहा था मैं कुछ दूसरा खेल !!

उठकर तो कभी बैठकर झांक रहा था  उच्चकर मैं खिड़की से भी!
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी हिरण न भाग रही थी  हिचकी से भी।।
टेढ़ी +मेढ़ी लकड+अकड़ सी सिंघ सोभती पाती हुईं थीं कानों को
सिर कर सीधा मासूम भरी कोमल निगाहों से आह रही थीं वाणो को!।

उछल कूद लगा भूल गईं थीं शायद शान्ति की थीं तालाश में
आनन्द अब न उसे कुछ आ रहा था हरे भरे फूलों और घास में ।
अकेली निर्जन वातावरण में बन की विरहन सी सजी दुलहन 
प्रेम पिपासी लग रही थीं खोई थी प्यारे प्रभू के आश में ।।

पहले जैसा अब कुछ भाव न दिखा जैसे कोई जंगली डरती हैं
कनक खनक न कुछ बता रही थी मृग नयनी बस आहे भरती हैं!
पूछ का पक्ष बना संकेतक बालो का प्रमाण अब बताता है।
कोई धनुर्धर महाबली किसी का आजकल न पीछा करता हैं!!

चेहरे का भाव बता रहा था उसकी भी मन की कुछ ईक्षा थीं
प्यार नफरत के वृत्ताकार केंद्र बीच होनेवाली अग्नि परीक्षा थीं!
सोच रही थीं गर कोई मिले भी तो न कन्हैया और न श्रीराम सा
थीं ख्वाइश घायल दिल के उसको  महादेव कैलाशी महान सा।।
@विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
#महादेवी_वर्मा #पौराणिककथा #जन्म_जयंती  

"मधुर मधु-सौरभ जगत् को स्वप्न में बेसुध बनाता,
वात विहगों के विपिन के गीत आता गुनगुनाता।
मैं पथिक हूँ श्रांत, कोई पथ प्रदर्शक भी न मेरा, 
चाहता अब प्राण अलसित शून्य में लेना बसेरा।"

©HintsOfHeart.

#महादेवी_वर्मा #जन्म_जयंती महादेवी वर्मा जी हिन्दी काव्य में छायावाद की एक प्रमुख स्तंभ थीं। जन्म: 26 मार्च 1907, फ़र्रुखाबाद, उत्तर प्रदे

144 View

इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम, तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है। (सिद्धान्त पावस) ©Siddhant Pawas

#पोएट्री #silhouette  इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम,
तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है।
(सिद्धान्त पावस)

©Siddhant Pawas
#महादेवी #कविता #SadStorytelling

#SadStorytelling #महादेवी वर्मा

126 View

#पोएट्री #streetlamp  जरा सा.. कपड़े जो काले पड़ गए हैं
 मेरे पीछे उजाले पड़ गए हैं..
 दरों पर "Welcome" लिखा हुआ है..
 और दरवाजों पर ताले पड़ गए हैं..!!

©Aman
#पोएट्री #sad_shayari  White हम वो कष्टी है जिस्का कोई किनारा ना hua 
हम सबके hue, मगर कोई हमारा ना hua..

©GOAN PRASHAL
#कविताएं #पोएट्री #aaina  ।।।।।।।कलम ए विद्यार्थी।।।।।।।
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आज सुबह सबेरे चमचमाती धूप में नीले अम्बर को
 निहारती जैसे किसी हिरण रूपी रौशनी को देखा!
सुनसान बंजर खेतों के बीच खड़ी चारों तरफ फलों से लदे 
लहराती गेहूं चने के झूमते पौधों और टहनी को देखा !!

लूक छिप लूक छिप झगड़ा मेल कभी फुटबॉल क्रिकेट का सेल
भाई बहन पड़ोसी भेल  मानव और जानवर में फिर कैसा बेमेल ।
छुक छुक मंद गति से कभी तेज़ रफ़्तार से चल रही थीं अपनी रेल!
सफ़र था विद्यालय तक का  पर देख रहा था मैं कुछ दूसरा खेल !!

उठकर तो कभी बैठकर झांक रहा था  उच्चकर मैं खिड़की से भी!
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी हिरण न भाग रही थी  हिचकी से भी।।
टेढ़ी +मेढ़ी लकड+अकड़ सी सिंघ सोभती पाती हुईं थीं कानों को
सिर कर सीधा मासूम भरी कोमल निगाहों से आह रही थीं वाणो को!।

उछल कूद लगा भूल गईं थीं शायद शान्ति की थीं तालाश में
आनन्द अब न उसे कुछ आ रहा था हरे भरे फूलों और घास में ।
अकेली निर्जन वातावरण में बन की विरहन सी सजी दुलहन 
प्रेम पिपासी लग रही थीं खोई थी प्यारे प्रभू के आश में ।।

पहले जैसा अब कुछ भाव न दिखा जैसे कोई जंगली डरती हैं
कनक खनक न कुछ बता रही थी मृग नयनी बस आहे भरती हैं!
पूछ का पक्ष बना संकेतक बालो का प्रमाण अब बताता है।
कोई धनुर्धर महाबली किसी का आजकल न पीछा करता हैं!!

चेहरे का भाव बता रहा था उसकी भी मन की कुछ ईक्षा थीं
प्यार नफरत के वृत्ताकार केंद्र बीच होनेवाली अग्नि परीक्षा थीं!
सोच रही थीं गर कोई मिले भी तो न कन्हैया और न श्रीराम सा
थीं ख्वाइश घायल दिल के उसको  महादेव कैलाशी महान सा।।
@विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
#महादेवी_वर्मा #पौराणिककथा #जन्म_जयंती  

"मधुर मधु-सौरभ जगत् को स्वप्न में बेसुध बनाता,
वात विहगों के विपिन के गीत आता गुनगुनाता।
मैं पथिक हूँ श्रांत, कोई पथ प्रदर्शक भी न मेरा, 
चाहता अब प्राण अलसित शून्य में लेना बसेरा।"

©HintsOfHeart.

#महादेवी_वर्मा #जन्म_जयंती महादेवी वर्मा जी हिन्दी काव्य में छायावाद की एक प्रमुख स्तंभ थीं। जन्म: 26 मार्च 1907, फ़र्रुखाबाद, उत्तर प्रदे

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इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम, तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है। (सिद्धान्त पावस) ©Siddhant Pawas

#पोएट्री #silhouette  इतने सालों बाद मेरे इश्क़ का गवाह मत बनो तुम,
तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हारे हिस्से का इश्क़ भी मैंने अकेले ही भोगा है।
(सिद्धान्त पावस)

©Siddhant Pawas
#महादेवी #कविता #SadStorytelling

#SadStorytelling #महादेवी वर्मा

126 View

#पोएट्री #streetlamp  जरा सा.. कपड़े जो काले पड़ गए हैं
 मेरे पीछे उजाले पड़ गए हैं..
 दरों पर "Welcome" लिखा हुआ है..
 और दरवाजों पर ताले पड़ गए हैं..!!

©Aman
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