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#SAD

hug with that person who reduce my stress

108 View

#कविता #poem  White मोबाइल पर पढ़ते बच्चे ऐसे आगे बढ़ते बच्चे
बिना परीक्षा अगली कक्षा घर बैठे ही चढ़ते बच्चे बिना संग मित्रों में खेले नई जिंदगी गढ़ते बच्चे
खोया बचपन, दोष
समूचा
कोरोना पर मढ़ते बच्चे

©The Kane

#poem

108 View

#poem

#poem

198 View

#कविता #Tranding #Lake #poem  White ह्बायों के रुख से लगता है कि रुखसत हो जाएगी बरसात
बेदर्द समां बदलेगा और आँखों से थम जाएगी बरसात .
अब जब थम गयी हैं बरसात तो किसान तरसा पानी को
बो वैठा हैं इसी आस मे कि अब कब आएगी बरसात .
दिल की बगिया को इस मोसम से कोई नहीं रही आस
आजाओ तुम इस बे रूखे मोसम में बन के बरसात .
चांदनी चादर बन ढक लेती हैं जब गलतफेहमियां हर रात
तब सुबह नई किरणों से फिर होती हें खुसिओं की बरसात .
सुबह की पहली किरण जब छू लेती हें तेरी बंद पलकें
चारों तरफ कलिओं से तेरी खुशबू की हो जाती बरसात .
नहा धो कर चमक जाती हर चोटी धोलाधार की
जब पश्चिम से बादल गरजते चमकते बनते बरसात

©ishant Thakur

prakrti poem #Lake #poem #Tranding

90 View

#poem  क्या करोगे


 यूँ रातों को गुफ़्तगू तो कर रहे हो हमसे,
 जो दिल लगा बैठे तो क्या करोगे
मानता हु कि अभी हम कुछ नहीं तुम्हारे,
 मगर जो हमे कुछ मान बैठे तो क्या करोगे

यूँ रातों को गुफ़्तगू तो कर रहे हो हमसे,
 जो दिल लगा बैठे तो क्या करोगे

ये प्यार की बातें किताबों में रहने दो,
 हकीकत में दिल लगा बैठे, तो उजड जाओगे
कहते है फिर दुबारा नहीं बसा करते,उजड़े हुए दिल 
 जो हमारे होगये ,तो क्या करोगे

यूँ रातों को गुफ़्तगू तो कर रहे हो हमसे,
 जो दिल लगा बैठे तो क्या करोगे

क्या कर पाओगी यकीन फिर से इश्क़ पे, 
या ज़माने के डर से बिछड़े तो न जाओगे
बन्झर से दिलों के इस बीरान सफर में
 ताउम्र साथ चल पाओगे 

क्या कह पाओगे ज़माने को की फिर से इश्क हुआ है, 
या डर के ज़माने से फिर भागा जाओगे

©Capital_Jadon

#poem

135 View

वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, मगर जाओं... जिंदगी से पूछकर आओं... क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....! ©Aarti Sirsat

#विचार #poem  वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, 
मगर जाओं... 
जिंदगी से पूछकर आओं... 
क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....!

©Aarti Sirsat

#poem

17 Love

#SAD

hug with that person who reduce my stress

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#कविता #poem  White मोबाइल पर पढ़ते बच्चे ऐसे आगे बढ़ते बच्चे
बिना परीक्षा अगली कक्षा घर बैठे ही चढ़ते बच्चे बिना संग मित्रों में खेले नई जिंदगी गढ़ते बच्चे
खोया बचपन, दोष
समूचा
कोरोना पर मढ़ते बच्चे

©The Kane

#poem

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#poem

#poem

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#कविता #Tranding #Lake #poem  White ह्बायों के रुख से लगता है कि रुखसत हो जाएगी बरसात
बेदर्द समां बदलेगा और आँखों से थम जाएगी बरसात .
अब जब थम गयी हैं बरसात तो किसान तरसा पानी को
बो वैठा हैं इसी आस मे कि अब कब आएगी बरसात .
दिल की बगिया को इस मोसम से कोई नहीं रही आस
आजाओ तुम इस बे रूखे मोसम में बन के बरसात .
चांदनी चादर बन ढक लेती हैं जब गलतफेहमियां हर रात
तब सुबह नई किरणों से फिर होती हें खुसिओं की बरसात .
सुबह की पहली किरण जब छू लेती हें तेरी बंद पलकें
चारों तरफ कलिओं से तेरी खुशबू की हो जाती बरसात .
नहा धो कर चमक जाती हर चोटी धोलाधार की
जब पश्चिम से बादल गरजते चमकते बनते बरसात

©ishant Thakur

prakrti poem #Lake #poem #Tranding

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#poem  क्या करोगे


 यूँ रातों को गुफ़्तगू तो कर रहे हो हमसे,
 जो दिल लगा बैठे तो क्या करोगे
मानता हु कि अभी हम कुछ नहीं तुम्हारे,
 मगर जो हमे कुछ मान बैठे तो क्या करोगे

यूँ रातों को गुफ़्तगू तो कर रहे हो हमसे,
 जो दिल लगा बैठे तो क्या करोगे

ये प्यार की बातें किताबों में रहने दो,
 हकीकत में दिल लगा बैठे, तो उजड जाओगे
कहते है फिर दुबारा नहीं बसा करते,उजड़े हुए दिल 
 जो हमारे होगये ,तो क्या करोगे

यूँ रातों को गुफ़्तगू तो कर रहे हो हमसे,
 जो दिल लगा बैठे तो क्या करोगे

क्या कर पाओगी यकीन फिर से इश्क़ पे, 
या ज़माने के डर से बिछड़े तो न जाओगे
बन्झर से दिलों के इस बीरान सफर में
 ताउम्र साथ चल पाओगे 

क्या कह पाओगे ज़माने को की फिर से इश्क हुआ है, 
या डर के ज़माने से फिर भागा जाओगे

©Capital_Jadon

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वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, मगर जाओं... जिंदगी से पूछकर आओं... क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....! ©Aarti Sirsat

#विचार #poem  वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, 
मगर जाओं... 
जिंदगी से पूछकर आओं... 
क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....!

©Aarti Sirsat

#poem

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