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New बत्तियां बुझा Status, Photo, Video

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#शून्य #election #Niaz  White जलता रहा यह संसार
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

गरीबों को क्या मिला?
पूछता रहा यह हिंदुस्तान 
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

सरकार बने किसी की भी ,
हम गरीबों को क्या मिला?
एक बोतल दारु
और नुक्कड़ की दादागिरी।

आरोप, प्रत्यारोप में,
पिसता रहा हिंदुस्तान।
जलता रहा यह संसार ,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

तुम बुरे हो, हम अच्छे हैं।
यह समझा गया वह नाटकबाज।
बेवकूफ बनती रही जनता ,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

 कभी मंदिर तो, कभी अजान।
बस दिखाई देती नहीं 
इनको हमारे किसान।
सरकार बने किसी की भी।
 हम गरीबों को क्या मिला?
सस्ता चावल, गेहूं बांटा गया मुफ्त में
बदले में लिया कीमती वोट हमारा ।
बेवकूफ बनती रही जनता,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

कभी पाकिस्तान,
तो कभी मुसलमान की बातें होती है।
 क्या यह मुद्दा बड़ा है ?
बेरोजगार युवा यही पूछता है।

देश की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
 क्या मणिपुर की वह बेटी विदेशी है?
बेटी को क्या मिला?
पूछता रहा यह हिंदुस्तान ।
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।

©Niaz (Harf)

जलता रहा यह संसार और वो बत्ती बुझा कर सो गया । गरीबों को क्या मिला? पूछता रहा यह हिंदुस्तान और वो बत्ती बुझा कर सो गया । सरकार बने किसी

234900 View

 मैं हूं तेरी दिल की रानी 
 तुम्हारे दिल की राजा
आजा
प्यास बुझा जा 
फॉलो करें

©KUNWA SAY

मैं हूं तेरी दिल की रानी तुम्हारे दिल की राजा आजा प्यास बुझा जा

81 View

#Holi  शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग "
              ................................

मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से
उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...!

थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना..
लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस,
एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान,
तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे..
आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"

शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ

279 View

#शून्य #election #Niaz  White जलता रहा यह संसार
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

गरीबों को क्या मिला?
पूछता रहा यह हिंदुस्तान 
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

सरकार बने किसी की भी ,
हम गरीबों को क्या मिला?
एक बोतल दारु
और नुक्कड़ की दादागिरी।

आरोप, प्रत्यारोप में,
पिसता रहा हिंदुस्तान।
जलता रहा यह संसार ,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

तुम बुरे हो, हम अच्छे हैं।
यह समझा गया वह नाटकबाज।
बेवकूफ बनती रही जनता ,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

 कभी मंदिर तो, कभी अजान।
बस दिखाई देती नहीं 
इनको हमारे किसान।
सरकार बने किसी की भी।
 हम गरीबों को क्या मिला?
सस्ता चावल, गेहूं बांटा गया मुफ्त में
बदले में लिया कीमती वोट हमारा ।
बेवकूफ बनती रही जनता,
और वो बत्ती बुझा कर सो गया । 

कभी पाकिस्तान,
तो कभी मुसलमान की बातें होती है।
 क्या यह मुद्दा बड़ा है ?
बेरोजगार युवा यही पूछता है।

देश की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
 क्या मणिपुर की वह बेटी विदेशी है?
बेटी को क्या मिला?
पूछता रहा यह हिंदुस्तान ।
और वो बत्ती बुझा कर सो गया ।

©Niaz (Harf)

जलता रहा यह संसार और वो बत्ती बुझा कर सो गया । गरीबों को क्या मिला? पूछता रहा यह हिंदुस्तान और वो बत्ती बुझा कर सो गया । सरकार बने किसी

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 मैं हूं तेरी दिल की रानी 
 तुम्हारे दिल की राजा
आजा
प्यास बुझा जा 
फॉलो करें

©KUNWA SAY

मैं हूं तेरी दिल की रानी तुम्हारे दिल की राजा आजा प्यास बुझा जा

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#Holi  शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग "
              ................................

मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से
उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...!

थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना..
लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस,
एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान,
तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!

बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे..
आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे..
आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे..
करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"

शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ

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