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#शायरी  बेवफा गर हुए हैं ,तो तेरे अपनों के 
कारण,कसम तेरे सर की अगर दे दी ना होती।

किसी की खुदाई में जुर्रत नहीं थी,
तुम्हें छीन लेता बड़ों से मेरी, सारी दुनिया ये रोती।

©Anuj Ray

# बेवफा घर हुए हैं

198 View

#विचार

मुख्य द्वार पर तुलसी का पानी छिड़कने से क्या होता है#@mansi'sway

99 View

#होली #Festival #घर #Holi  मुझे घर बनाने; घर से दूर निकलना पड़ा,
और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा।

हारा हिम्मत; टूटा हौसला कई बार, बेशक!
“कुछ दूर और!” कह कर बस चलना पड़ा।

थक कर चूर; जब सोया कभी इत्मीनान से,
नींद आई नहीं पूरी रात; बस करवट बदलना पड़ा।

याद आती रही मां, बाप से दूर होना खलता रहा,
मत पूछो, अपनों से दूर हो कितना मचलना पड़ा।

और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा।

©Rudra Pratap Singh

मुझे घर बनाने घर से दूर निकालना पड़ा #घर #होली #Festival #Holi

7497 View

#शायरी #होली  एक वाट्सअप मित्र द्वारा भेजी गई रचना

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA

एक मित्र द्वार भेजी गई बहुत प्यारी रचना #होली #Nojoto

162 View

#नया #मीम

#नया घर बन। गया#

90 View

कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम बिन जीवन व्यर्थ ।। संग तुम्हारे हो नहीं ,खुशियों का अब अंत । तुमको पाकर आज जो , खुशियाँ मिली अनंत ।। कभी-कभी मन में उठे , मेरे अब संताप । जाने कब किसको यहाँ , करना पड़े विलाप ।। दिन जीवन के चार है , छोड़ो ये घर द्वार । हम तुम दोनों से यहां , कोई करें न प्यार ।। आओ अपनी प्रीति की , अलग करे पहचान । हम तुम दोनों संग में , करे प्राण बलिदान ।। १५/०३/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ ।
छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।।
तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ ।
अब तो लगता है हमें , तुम बिन जीवन व्यर्थ ।।
संग तुम्हारे हो नहीं ,खुशियों का अब अंत ।
तुमको पाकर आज जो , खुशियाँ मिली अनंत ।।
कभी-कभी मन में उठे , मेरे अब संताप ।
जाने कब किसको यहाँ , करना पड़े विलाप ।।
दिन जीवन के चार है , छोड़ो ये घर द्वार ।
हम तुम दोनों से यहां , कोई करें न प्यार ।।
आओ अपनी प्रीति की , अलग करे पहचान ।
हम तुम दोनों संग में , करे प्राण बलिदान ।।
१५/०३/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम ब

14 Love

#शायरी  बेवफा गर हुए हैं ,तो तेरे अपनों के 
कारण,कसम तेरे सर की अगर दे दी ना होती।

किसी की खुदाई में जुर्रत नहीं थी,
तुम्हें छीन लेता बड़ों से मेरी, सारी दुनिया ये रोती।

©Anuj Ray

# बेवफा घर हुए हैं

198 View

#विचार

मुख्य द्वार पर तुलसी का पानी छिड़कने से क्या होता है#@mansi'sway

99 View

#होली #Festival #घर #Holi  मुझे घर बनाने; घर से दूर निकलना पड़ा,
और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा।

हारा हिम्मत; टूटा हौसला कई बार, बेशक!
“कुछ दूर और!” कह कर बस चलना पड़ा।

थक कर चूर; जब सोया कभी इत्मीनान से,
नींद आई नहीं पूरी रात; बस करवट बदलना पड़ा।

याद आती रही मां, बाप से दूर होना खलता रहा,
मत पूछो, अपनों से दूर हो कितना मचलना पड़ा।

और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा।

©Rudra Pratap Singh

मुझे घर बनाने घर से दूर निकालना पड़ा #घर #होली #Festival #Holi

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#शायरी #होली  एक वाट्सअप मित्र द्वारा भेजी गई रचना

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA

एक मित्र द्वार भेजी गई बहुत प्यारी रचना #होली #Nojoto

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#नया #मीम

#नया घर बन। गया#

90 View

कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम बिन जीवन व्यर्थ ।। संग तुम्हारे हो नहीं ,खुशियों का अब अंत । तुमको पाकर आज जो , खुशियाँ मिली अनंत ।। कभी-कभी मन में उठे , मेरे अब संताप । जाने कब किसको यहाँ , करना पड़े विलाप ।। दिन जीवन के चार है , छोड़ो ये घर द्वार । हम तुम दोनों से यहां , कोई करें न प्यार ।। आओ अपनी प्रीति की , अलग करे पहचान । हम तुम दोनों संग में , करे प्राण बलिदान ।। १५/०३/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ ।
छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।।
तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ ।
अब तो लगता है हमें , तुम बिन जीवन व्यर्थ ।।
संग तुम्हारे हो नहीं ,खुशियों का अब अंत ।
तुमको पाकर आज जो , खुशियाँ मिली अनंत ।।
कभी-कभी मन में उठे , मेरे अब संताप ।
जाने कब किसको यहाँ , करना पड़े विलाप ।।
दिन जीवन के चार है , छोड़ो ये घर द्वार ।
हम तुम दोनों से यहां , कोई करें न प्यार ।।
आओ अपनी प्रीति की , अलग करे पहचान ।
हम तुम दोनों संग में , करे प्राण बलिदान ।।
१५/०३/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम ब

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