तुम गंगाधर, तुम नीलकंठ
तुम भोले-शंकर, शिव-शंभु।
तुम महाकाल, तुम महा-रुद्र;
तुम आदि, तुम्हीं हो अंत प्रभु।
तुम कालजयी, तुम काल-पुरुष;
तुम ही मेरे संसार, प्रभु।
हो मानवता के पोषक तुम,
हम सब के तारणहार, प्रभु।
-रुद्र प्रताप सिंह
तुम गंगाधर, तुम नीलकंठ
तुम भोले-शंकर, शिव-शंभु।
तुम महाकाल, तुम महा-रुद्र;
तुम आदि, तुम्हीं हो अंत प्रभु।
तुम कालजयी, तुम काल-पुरुष;
तुम ही मेरे संसार, प्रभु।
हो मानवता के पोषक तुम,
हम सब के तारणहार, प्रभु।
-रुद्र प्रताप सिंह
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अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
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