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#कविता  White पुरानी डायरी"

पुरानी डायरी में 
मिला है आज एक ख़त,
जिसने मेरी यादों के 
घरोंदे को कर दिया ख़तबिखत ।
मोहब्बत में किये 
प्यार के वादों को 
निभाने के लिए हमने, 
बगावत काकर लिया था फैसला।
मेरी जान बचाने के लिए 
उसने ख़ुद की बलि दे दी, 
मोहब्बत की जल के चिता, 
ख़ुद की लाश को पहना दी सुहाग की साड़ी।

©Anuj Ray

# पुरानी डायरी "

135 View

#भक्ति #Emotional  Men walking on dark street नारी नींदा ना करें नारी रतन कि खान,
नारी से नर होत है ध्रुव, प्रहलाद समान ।।
।।दास कबीर।।

©Gaurang patel

#Emotional मेरी डायरी से।।

126 View

#हॉरर  गरीब की बेटी से तो,  हर लड़का शादी कर लेता है पर गरीब के लड़के से कोई लड़की शादी नहीं करना चाहती ,!

©Rajik Khan

इश्क डायरी

135 View

शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं
----------------------------------------------------------
हाँ, तैयार हूँ मैं,
 क्योंकि--------------,
बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को,
जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को,
और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ,
तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ?
क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ?
क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ?

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक,
आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी,
निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक,
उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से,
और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास,
मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता,
मुझको अब आगे बढ़ना है।

और इसीलिए, 
हाँ, तैयार हूँ मैं ,
क्योंकि--------------------।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

17 Love

शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है ---------------------------------------------------- सबको पता है और यह सत्य है कि, पहली आवश्यकता है आदमी की, रोटी, कपड़ा और मकान, और इन्हीं के लिए वह, करता है दिनरात इतनी भागदौड़, और बहाता है अपना खून- पसीना, करता है पाप और अनैतिकता भी, जीने को वह सुख- शान्ति से।। भूल जाता है वह, अपनी मंजिल तक पहुंचने में, अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक, याद तक नहीं आते हैं उसको, अपने गम और दर्द तक, तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह, जीना चाहता है अकेला होकर, और जी.आज़ाद बनकर वह।। नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब, अपने परिचितों और परिवार से, और इसी तरह चला जाता है वह, अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर, बहुत दूर अपने किसी संसार में, लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है, किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता, यही तो जिंदगी का सच है।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है
----------------------------------------------------
सबको पता है और यह सत्य है कि,
पहली आवश्यकता है आदमी की,
रोटी, कपड़ा और मकान,
और इन्हीं के लिए वह,
करता है दिनरात इतनी भागदौड़,
और बहाता है अपना खून- पसीना,
करता है पाप और अनैतिकता भी,
जीने को वह सुख- शान्ति से।।

भूल जाता है वह,
अपनी मंजिल तक पहुंचने में,
अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक,
याद तक नहीं आते हैं उसको,
अपने गम और दर्द तक,
तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह,
जीना चाहता है अकेला होकर,
और जी.आज़ाद बनकर वह।।

नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब,
अपने परिचितों और परिवार से,
और इसी तरह चला जाता है वह,
अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर,
बहुत दूर अपने किसी संसार में,
लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है,
किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता,
यही तो जिंदगी का सच है।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

12 Love

#विचार #traintrack  સંબંધ  એ  નથી  કે  કોની  પાસેથી  કેટલું  સુખ  મેળવો  છો,સંબંધ  તો  એ  છે  કે  કોના  વીના  કેટલી  એકલતા  અનુભવો  છો...

©Gaurang patel

#traintrack मेरी डायरी से।।

99 View

#कविता  White पुरानी डायरी"

पुरानी डायरी में 
मिला है आज एक ख़त,
जिसने मेरी यादों के 
घरोंदे को कर दिया ख़तबिखत ।
मोहब्बत में किये 
प्यार के वादों को 
निभाने के लिए हमने, 
बगावत काकर लिया था फैसला।
मेरी जान बचाने के लिए 
उसने ख़ुद की बलि दे दी, 
मोहब्बत की जल के चिता, 
ख़ुद की लाश को पहना दी सुहाग की साड़ी।

©Anuj Ray

# पुरानी डायरी "

135 View

#भक्ति #Emotional  Men walking on dark street नारी नींदा ना करें नारी रतन कि खान,
नारी से नर होत है ध्रुव, प्रहलाद समान ।।
।।दास कबीर।।

©Gaurang patel

#Emotional मेरी डायरी से।।

126 View

#हॉरर  गरीब की बेटी से तो,  हर लड़का शादी कर लेता है पर गरीब के लड़के से कोई लड़की शादी नहीं करना चाहती ,!

©Rajik Khan

इश्क डायरी

135 View

शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं
----------------------------------------------------------
हाँ, तैयार हूँ मैं,
 क्योंकि--------------,
बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को,
जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को,
और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ,
तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ?
क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ?
क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ?

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक,
आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी,
निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक,
उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से,
और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास,
मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता,
मुझको अब आगे बढ़ना है।

और इसीलिए, 
हाँ, तैयार हूँ मैं ,
क्योंकि--------------------।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

17 Love

शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है ---------------------------------------------------- सबको पता है और यह सत्य है कि, पहली आवश्यकता है आदमी की, रोटी, कपड़ा और मकान, और इन्हीं के लिए वह, करता है दिनरात इतनी भागदौड़, और बहाता है अपना खून- पसीना, करता है पाप और अनैतिकता भी, जीने को वह सुख- शान्ति से।। भूल जाता है वह, अपनी मंजिल तक पहुंचने में, अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक, याद तक नहीं आते हैं उसको, अपने गम और दर्द तक, तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह, जीना चाहता है अकेला होकर, और जी.आज़ाद बनकर वह।। नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब, अपने परिचितों और परिवार से, और इसी तरह चला जाता है वह, अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर, बहुत दूर अपने किसी संसार में, लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है, किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता, यही तो जिंदगी का सच है।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखन  शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है
----------------------------------------------------
सबको पता है और यह सत्य है कि,
पहली आवश्यकता है आदमी की,
रोटी, कपड़ा और मकान,
और इन्हीं के लिए वह,
करता है दिनरात इतनी भागदौड़,
और बहाता है अपना खून- पसीना,
करता है पाप और अनैतिकता भी,
जीने को वह सुख- शान्ति से।।

भूल जाता है वह,
अपनी मंजिल तक पहुंचने में,
अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक,
याद तक नहीं आते हैं उसको,
अपने गम और दर्द तक,
तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह,
जीना चाहता है अकेला होकर,
और जी.आज़ाद बनकर वह।।

नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब,
अपने परिचितों और परिवार से,
और इसी तरह चला जाता है वह,
अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर,
बहुत दूर अपने किसी संसार में,
लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है,
किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता,
यही तो जिंदगी का सच है।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखन

12 Love

#विचार #traintrack  સંબંધ  એ  નથી  કે  કોની  પાસેથી  કેટલું  સુખ  મેળવો  છો,સંબંધ  તો  એ  છે  કે  કોના  વીના  કેટલી  એકલતા  અનુભવો  છો...

©Gaurang patel

#traintrack मेरी डायरी से।।

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