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#poetry_addicts #sookha #Sukha  बदलते मौसम की राहों में,
बिन पानी की धरती बेजान है।
जब से तेरा साथ छूटा है,
ये दिल बेहाल और उदास है।

तेरी यादों की बरसात के बाद,
सूखे पत्तों की तरह बिखरा हूँ।
अब तेरे बिना ज़िन्दगी की राहें,
सूखी हवाओं में बस बहा हूँ।

कहानी तेरी यादों की गहराइयों में,
ये दिल तन्हाई की सूनी है।
बिन तेरे ये ज़िन्दगी बेमानी है,
सूखी रेत की तरह बिखरी है।

बस तेरी यादों का साहिल हो,
सूखे दिल को बहार मिले।
क्योंकि बिना तेरे ये ज़िंदगी,
सूखी धरती की तरह बेवजह है।

©Nirankar Trivedi

बदलते मौसम की राहों में, बिन पानी की धरती बेजान है। जब से तेरा साथ छूटा है, ये दिल बेहाल और उदास है।तेरी यादों की बरसात के बाद, सूखे पत्तों

135 View

#sad_feeling_with_love #Sad_Emotional #sad_feeling #Saad_Writes

सब जानते hai jindagi बेहाल है 🥺...... . . . . . . .

90 View

दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।। करते बातें लोग है , आज सुदामा देख । आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख  ।। शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख । नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल ।
झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।।

देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत ।
कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।।

करते बातें लोग है , आज सुदामा देख ।
आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख  ।।

शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख ।
नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कह

15 Love

गर्मी  :- कुण्डलिया  नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस युग का सब आज , इसे दानव ही जाने ।। फिर भी अर्पण पुष्प , करें सबं उनकी फोटो । जिनके घर में ढेर , लगे है देखो नोटों ।। गर्मी दिन-दिन बढ़ रही , रहे सभी अब झेल । जीव-जन्तु बेहाल , प्रकृति रही है खेल ।। प्रकृति रही है खेल  , सभी से अब के बी सी । कूलर पंखा फेल , लगाओ घर-घर ऐ सी ।। कितने दिन हो पार , नही बातों में नर्मी । किया दुष्ट व्यवहार , बढ़ेगी निशिदिन गर्मी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गर्मी  :- कुण्डलिया 
नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज ।
पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।।
निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने ।
इस युग का सब आज , इसे दानव ही जाने ।।
फिर भी अर्पण पुष्प , करें सबं उनकी फोटो ।
जिनके घर में ढेर , लगे है देखो नोटों ।।

गर्मी दिन-दिन बढ़ रही , रहे सभी अब झेल ।
जीव-जन्तु बेहाल , प्रकृति रही है खेल ।।
प्रकृति रही है खेल  , सभी से अब के बी सी ।
कूलर पंखा फेल , लगाओ घर-घर ऐ सी ।।
कितने दिन हो पार , नही बातों में नर्मी ।
किया दुष्ट व्यवहार , बढ़ेगी निशिदिन गर्मी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गर्मी  :- कुण्डलिया  नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस

13 Love

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । नही पथ कोई हो दूजा ।। तपन सूरज की है भारी । झेलती दुनिया है सारी ।। हुए बेहाल जीव सारे । बरसते तन पे अंगारे ।। बने सज्जन हो तुम फिरते । बात भी मीठी हो करते ।। अधर पे सिर्फ टिकी लाली । हृदय में बस तेरे गाली ।। शोक उनका हो क्यों करते । पथिक बनकर जो हैं रहते ।। प्रखर यही राम की माया । नेह छोड़ो ये तन छाया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गोपी छन्द :- 

बसा लें चलकर हम बस्ती ।
धरा इतनी न हुई सस्ती ।।
प्रेम की जग में हो पूजा ।
नही पथ कोई हो दूजा ।।

तपन सूरज की है भारी ।
झेलती दुनिया है सारी ।।
हुए बेहाल जीव सारे ।
बरसते तन पे अंगारे ।।

बने सज्जन हो तुम फिरते ।
बात भी मीठी हो करते ।।
अधर पे सिर्फ टिकी लाली ।
हृदय में बस तेरे गाली ।।

शोक उनका हो क्यों करते ।
पथिक बनकर जो हैं रहते ।।
प्रखर यही राम की माया ।
नेह छोड़ो ये तन छाया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा ।

10 Love

#shamawritesBebaak #election2024  White फकत ये जिंदगी भी जेरो जबर की आदी है,  निजात_ए_मौत ही इसकी आजादी है//१

उस जांसिता की नजर में नहीं कोई शहजादी है,
कैद में जिसके बेगुनाह बेपनाह आबादी है//२
                                                                                                                  जो लहूलुहान रखता है अपने*कफस में परिंदो
 को,बेशक वो सरकशी में घिनौना*यज़िदी है//३

 भूख,बेरोजगारी से बेहाल तो मानवता की बर्बादी है जो*तिश्ना_लब मारे गए वो सब तेरे फरियादी है//४
                                                                                      देखो*मुफलिसी में दिल मोम रखती है जो रब की बंदी
देख"शमा तेरे शहर का अमीरे शहर भी*इमदादी है//
 #shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#election2024 फकत ये जिंदगी भी जेरो जबर की आदी है, निजाते_मौत ही इसकी आजादी है//१ उस जांसिता की नजर में नहीं कोई शहजादी है,कैद में जिसके बेग

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#poetry_addicts #sookha #Sukha  बदलते मौसम की राहों में,
बिन पानी की धरती बेजान है।
जब से तेरा साथ छूटा है,
ये दिल बेहाल और उदास है।

तेरी यादों की बरसात के बाद,
सूखे पत्तों की तरह बिखरा हूँ।
अब तेरे बिना ज़िन्दगी की राहें,
सूखी हवाओं में बस बहा हूँ।

कहानी तेरी यादों की गहराइयों में,
ये दिल तन्हाई की सूनी है।
बिन तेरे ये ज़िन्दगी बेमानी है,
सूखी रेत की तरह बिखरी है।

बस तेरी यादों का साहिल हो,
सूखे दिल को बहार मिले।
क्योंकि बिना तेरे ये ज़िंदगी,
सूखी धरती की तरह बेवजह है।

©Nirankar Trivedi

बदलते मौसम की राहों में, बिन पानी की धरती बेजान है। जब से तेरा साथ छूटा है, ये दिल बेहाल और उदास है।तेरी यादों की बरसात के बाद, सूखे पत्तों

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#sad_feeling_with_love #Sad_Emotional #sad_feeling #Saad_Writes

सब जानते hai jindagi बेहाल है 🥺...... . . . . . . .

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दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।। करते बातें लोग है , आज सुदामा देख । आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख  ।। शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख । नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल ।
झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।।

देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत ।
कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।।

करते बातें लोग है , आज सुदामा देख ।
आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख  ।।

शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख ।
नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कह

15 Love

गर्मी  :- कुण्डलिया  नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस युग का सब आज , इसे दानव ही जाने ।। फिर भी अर्पण पुष्प , करें सबं उनकी फोटो । जिनके घर में ढेर , लगे है देखो नोटों ।। गर्मी दिन-दिन बढ़ रही , रहे सभी अब झेल । जीव-जन्तु बेहाल , प्रकृति रही है खेल ।। प्रकृति रही है खेल  , सभी से अब के बी सी । कूलर पंखा फेल , लगाओ घर-घर ऐ सी ।। कितने दिन हो पार , नही बातों में नर्मी । किया दुष्ट व्यवहार , बढ़ेगी निशिदिन गर्मी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गर्मी  :- कुण्डलिया 
नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज ।
पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।।
निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने ।
इस युग का सब आज , इसे दानव ही जाने ।।
फिर भी अर्पण पुष्प , करें सबं उनकी फोटो ।
जिनके घर में ढेर , लगे है देखो नोटों ।।

गर्मी दिन-दिन बढ़ रही , रहे सभी अब झेल ।
जीव-जन्तु बेहाल , प्रकृति रही है खेल ।।
प्रकृति रही है खेल  , सभी से अब के बी सी ।
कूलर पंखा फेल , लगाओ घर-घर ऐ सी ।।
कितने दिन हो पार , नही बातों में नर्मी ।
किया दुष्ट व्यवहार , बढ़ेगी निशिदिन गर्मी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गर्मी  :- कुण्डलिया  नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस

13 Love

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । नही पथ कोई हो दूजा ।। तपन सूरज की है भारी । झेलती दुनिया है सारी ।। हुए बेहाल जीव सारे । बरसते तन पे अंगारे ।। बने सज्जन हो तुम फिरते । बात भी मीठी हो करते ।। अधर पे सिर्फ टिकी लाली । हृदय में बस तेरे गाली ।। शोक उनका हो क्यों करते । पथिक बनकर जो हैं रहते ।। प्रखर यही राम की माया । नेह छोड़ो ये तन छाया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गोपी छन्द :- 

बसा लें चलकर हम बस्ती ।
धरा इतनी न हुई सस्ती ।।
प्रेम की जग में हो पूजा ।
नही पथ कोई हो दूजा ।।

तपन सूरज की है भारी ।
झेलती दुनिया है सारी ।।
हुए बेहाल जीव सारे ।
बरसते तन पे अंगारे ।।

बने सज्जन हो तुम फिरते ।
बात भी मीठी हो करते ।।
अधर पे सिर्फ टिकी लाली ।
हृदय में बस तेरे गाली ।।

शोक उनका हो क्यों करते ।
पथिक बनकर जो हैं रहते ।।
प्रखर यही राम की माया ।
नेह छोड़ो ये तन छाया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा ।

10 Love

#shamawritesBebaak #election2024  White फकत ये जिंदगी भी जेरो जबर की आदी है,  निजात_ए_मौत ही इसकी आजादी है//१

उस जांसिता की नजर में नहीं कोई शहजादी है,
कैद में जिसके बेगुनाह बेपनाह आबादी है//२
                                                                                                                  जो लहूलुहान रखता है अपने*कफस में परिंदो
 को,बेशक वो सरकशी में घिनौना*यज़िदी है//३

 भूख,बेरोजगारी से बेहाल तो मानवता की बर्बादी है जो*तिश्ना_लब मारे गए वो सब तेरे फरियादी है//४
                                                                                      देखो*मुफलिसी में दिल मोम रखती है जो रब की बंदी
देख"शमा तेरे शहर का अमीरे शहर भी*इमदादी है//
 #shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#election2024 फकत ये जिंदगी भी जेरो जबर की आदी है, निजाते_मौत ही इसकी आजादी है//१ उस जांसिता की नजर में नहीं कोई शहजादी है,कैद में जिसके बेग

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