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New 'आजाद और सरिता कर' Status, Photo, Video

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 White देख कर बेरुखी तेरी 
दिल को हमने भी समझा लिया 
जिस अंदाज में तू खुश रहे यारा 
अंदाज वही हमने भी अपना लिया
 तू यह न समझ कि 
तुझसे मोहब्बत कम हो गई है 
यह तो आजाद वफ़ा है यारा
 मोहब्बत की मंजिल पर हम
 तुम्हारी हसरतों के साथ 
चलना चाहते हैं 
हसरतों से हसरतें जब मिलती है 
इश्क ए आनंद अपार होता है 
और इसी को सच्चा 
आजाद प्यार कहते हैं।

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#flowers# आजाद शायराना #

153 View

#Quotes  एक बार और देखकर..........
आजाद कर दे मुझे...!
मैं आज भी तेरी पहली..!!
नजर की कैद में हूँ...........💕

©Rameshkumar Mehra Mehra

# एक बार और देखकर,आजाद कर दे मुझे,मैं आज भी तेरी पहली,नज़र की कैद में हूँ....💕

225 View

#लव  आजाद कर दो उस पंछी को 
जो आपके साथ खुद को कैदी समझता हो

©Abeer Singh

आजाद कर दो

1,899 View

#कविता #mothers_day  White "जब भी संकट आता है
 कोई जीवन में मेरे
ना मंदिर जाता हूं 
 ना मस्जिद जाता हूं 
जब मां थी तो 
मां के पास जाता था 
आज मां नहीं है तो 
मां का ध्यान किया करता हूं 
मां के आशीर्वाद के सहारे 
हर मुश्किल पर 
आसानी से पार पा जाता हूं।""सभी को मदर्स डे की आजाद शुभकामनाएं।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#mothers_day आजाद शुभकामनाएं

117 View

#karanrayup #lyrics #Shorts

आजाद कर देम #karanrayup 💯 #Shorts #lyrics

99 View

अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे, मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, फूल कलियों से चमन में ताज़गी है, दुआओं के इत्र से आबाद हूँ अब, चाँदनी उतरी है दिल के दरीचे में, लग रहा जैसे कोई महताब हूँ अब, जलने वाले इस क़दर हैरानगी से, देखते जैसे कोई तेजाब हूँ अब, झुकाते हैं शीश दरवाजे पे आकर, नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब, ख़त्म दौर-ए-जहाँ का करके गुंजन, ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #आजाद  अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, 
बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, 

नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे,
मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, 

फूल कलियों से  चमन में  ताज़गी है, 
दुआओं  के  इत्र  से  आबाद हूँ  अब, 

चाँदनी  उतरी  है  दिल  के  दरीचे में, 
लग रहा  जैसे  कोई  महताब हूँ अब, 

जलने  वाले  इस  क़दर  हैरानगी से, 
देखते  जैसे   कोई   तेजाब  हूँ  अब, 

झुकाते  हैं  शीश  दरवाजे पे आकर, 
नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब,

ख़त्म  दौर-ए-जहाँ का  करके गुंजन,
ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, 
      --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#आजाद हूँ अब#

13 Love

 White देख कर बेरुखी तेरी 
दिल को हमने भी समझा लिया 
जिस अंदाज में तू खुश रहे यारा 
अंदाज वही हमने भी अपना लिया
 तू यह न समझ कि 
तुझसे मोहब्बत कम हो गई है 
यह तो आजाद वफ़ा है यारा
 मोहब्बत की मंजिल पर हम
 तुम्हारी हसरतों के साथ 
चलना चाहते हैं 
हसरतों से हसरतें जब मिलती है 
इश्क ए आनंद अपार होता है 
और इसी को सच्चा 
आजाद प्यार कहते हैं।

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#flowers# आजाद शायराना #

153 View

#Quotes  एक बार और देखकर..........
आजाद कर दे मुझे...!
मैं आज भी तेरी पहली..!!
नजर की कैद में हूँ...........💕

©Rameshkumar Mehra Mehra

# एक बार और देखकर,आजाद कर दे मुझे,मैं आज भी तेरी पहली,नज़र की कैद में हूँ....💕

225 View

#लव  आजाद कर दो उस पंछी को 
जो आपके साथ खुद को कैदी समझता हो

©Abeer Singh

आजाद कर दो

1,899 View

#कविता #mothers_day  White "जब भी संकट आता है
 कोई जीवन में मेरे
ना मंदिर जाता हूं 
 ना मस्जिद जाता हूं 
जब मां थी तो 
मां के पास जाता था 
आज मां नहीं है तो 
मां का ध्यान किया करता हूं 
मां के आशीर्वाद के सहारे 
हर मुश्किल पर 
आसानी से पार पा जाता हूं।""सभी को मदर्स डे की आजाद शुभकामनाएं।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat

#mothers_day आजाद शुभकामनाएं

117 View

#karanrayup #lyrics #Shorts

आजाद कर देम #karanrayup 💯 #Shorts #lyrics

99 View

अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे, मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, फूल कलियों से चमन में ताज़गी है, दुआओं के इत्र से आबाद हूँ अब, चाँदनी उतरी है दिल के दरीचे में, लग रहा जैसे कोई महताब हूँ अब, जलने वाले इस क़दर हैरानगी से, देखते जैसे कोई तेजाब हूँ अब, झुकाते हैं शीश दरवाजे पे आकर, नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब, ख़त्म दौर-ए-जहाँ का करके गुंजन, ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #आजाद  अंधेरे की सोहबत से आजाद हूँ अब, 
बेख़बर सुनता कोई फरियाद हूँ अब, 

नहीं है ख़्वाहिश दिखाई दूँ शिखर पे,
मुक़म्मल से घर की बुनियाद हूँ अब, 

फूल कलियों से  चमन में  ताज़गी है, 
दुआओं  के  इत्र  से  आबाद हूँ  अब, 

चाँदनी  उतरी  है  दिल  के  दरीचे में, 
लग रहा  जैसे  कोई  महताब हूँ अब, 

जलने  वाले  इस  क़दर  हैरानगी से, 
देखते  जैसे   कोई   तेजाब  हूँ  अब, 

झुकाते  हैं  शीश  दरवाजे पे आकर, 
नगर सीमा पर खड़ी मेहराब हूँ अब,

ख़त्म  दौर-ए-जहाँ का  करके गुंजन,
ख़ुद से मिलने को बड़ा बेताब हूँ अब, 
      --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

#आजाद हूँ अब#

13 Love

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